प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस समय चर्चा में है। महाराष्ट्र के शिवसेना नेता संजय राउत से लेकर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी तक, कई विपक्षी नेता इन दिनों ईडी के शिकंजे में हैं। ईडी ने पिछले दिनों कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ की थी। उस दौरान से ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल सरकार पर यह आरोप लगा रहे थे कि वो ईडी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रही है। इस पर संसद में भी हंगामा देखने को मिला था। इस बीच अब एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि 2014 से लेकर अब तक नेताओं के खिलाफ ईडी की ओर से दर्ज किए गए केस में 4 गुना की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 2014 के बाद से जिन नेताओं पर ईडी ने केस दर्ज करके जांच की है उनमें से 95 फीसदी नेता विपक्ष के हैं। 2014 के बाद से जिन विपक्षी नेताओं पर ईडी के केस दर्ज हुए हैं, उनमें कांग्रेस के 24, तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी के 19, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के 11, शिवसेना के 8, द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम यानी डीएमके के 6, बीजू जनता दल या यानी बीजेडी के 6, आरजेडी के 5, बसपा के 5, सपा के 5, टीडीपी के 5, आप के 3, आईएनएलडी के 3, वाईएसआरसीपी के 3, सीपीएम के 2, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 2, पीडीपी के 2, आईएनडी के 2, एआईएडीएमके के एक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे के एक, सुभासपा के एक और टीआरएस के एक नेता शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 18 साल में करीब 147 नेताओं के खिलाफ जांच की गई है। इनमें से कुछ को गिरफ्तार किया गया, कुछ के खिलाफ केस दर्ज किया गया, किसी के ठिकानों पर छापेमारी की गई या फिर उनसे सवाल जवाब किए गए। इन सभी 147 नेताओं में से 85 फीसदी नेता विपक्ष के हैं। ऐसा ही पहले यूपीए सरकार के दौरान सीबीआई को लेकर भी कहा जाता था।