महीनों से बंद पड़ा ऑक्सीजन प्लांट जिम्मेदार मौन

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नगर के शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी में लाखों रुपए की लागत से बना ऑक्सीजन प्लांट बीते कुछ महीनो से बंद पड़ा हुआ है जिस पर जिम्मेदार प्रबंधन के द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है ऐसे में स्थिति यथावत बनी हुई है। जिसको लेकर स्थानीय प्रबंधन के द्वारा जिला स्तर पर पत्राचार करने की बात कही जा रही है परंतु जिला प्रबंधन के द्वारा सुधार कार्य नहीं करवाए जाने की जानकारी मिल रही है। उक्त ऑक्सीजन प्लांट में टेक्निकल फॉल्ट होना बताया जा रहा है जिसके कारण प्लांट चालू नहीं हो रहा है यदि ऐसा रहा तो ऑक्सीजन प्लांट बंद रहने से बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है तो वहीं जरूरत पर लोगों को ऑक्सीजन प्लांट का सहयोग भी नहीं मिल पायेगा। जबकि यह प्लांट अस्पताल में भर्ती ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए उक्त प्लाट स्थापित किया गया है जो वर्तमान में शोभा की सुपारी बना हुआ है। ऐसे में नगर के जागरूक नागरिक प्रशासन से उक्त ऑक्सीजन प्लांट का सुधार कर चालू अवस्था में रखने की मांग कर रहे हैं ताकि जरूरत पर व्यवस्था बनी रहे। जिसका 10 मई को एसडीएम राजीव रंजन पांडे के द्वारा निरीक्षण कर व्यवस्था का जायजा लेकर समस्त प्रकार की जानकारियां ली गई वहीं अस्पताल के भारती वार्ड का भी निरीक्षण किया गया।

कोरोना काल मे बनाया गया ऑक्सीजन प्लांट

देश ही नहीं पूरे विश्व में कोरोना महामारी बनकर उभरी थी जिसने करोड़ों लोगों को असमय काल के गाल में समा लिया। इस दौरान इस महामारी में ऑक्सीजन की कमी व्यक्ति को होने लगी थी जिस पर पूरे देश में भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार के माध्यम से अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण करवाया गया था। इसी कड़ी में वारासिवनी सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण करवा कर भर्ती वार्ड में ऑक्सीजन पाइपलाइन का विस्तार कर पॉइंट बनाया गया ताकि समय रहते लोगों को ऑक्सीजन की पूर्ति की जा सके। जिसके माध्यम से दर्जनों लोगों की जिंदगी बचाई गई परंतु वर्तमान में वह बंद पड़ा हुआ है इसके सुधार कार्य के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा किसी प्रकार की तत्परता नहीं दिखाई जा रही है ऐसे में लाखों रुपए की मशीन शोभा की सुपारी के रूप में पड़ी हुई है। जबकि प्रतिदिन मार्क ड्रिल कर करीब आधा घंटा प्लांट चालू कर चलाया जाता था जो बीते कुछ महीनो से नहीं किया जा रहा है। जिसके पीछे का कारण प्लांट में तकनीकी खराबी के कारण प्रारंभ नहीं होना बताया जा रहा है।

रिफिलिंग पॉइंट बनाने की उठ रही मांग

गौरतलब है कि शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी में भारत सरकार और प्रदेश सरकार के संयुक्त प्रयास से ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण लाखों रुपए की लागत से किया गया। जो केवल ऑक्सीजन बनाकर बैड पॉइंट तक मरीज को ऑक्सीजन देने का काम करने वाली मशीन है जिसकी वर्तमान में अत्यधिक आवश्यकता नहीं के बराबर है ऐसे में सिविल अस्पताल में कंसलटेटर के माध्यम से लोगों को ऑक्सीजन दी जा रही है। वहीं देखा जाए तो नगर के जरूरतमंद लोग ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए बाहर जाते हैं क्योंकि जिले में ऑक्सीजन गैस भरने का प्लांट कहीं भी नहीं है इस परिस्थिति में वारासिवनी ऑक्सीजन प्लांट को रिफिल पॉइंट बनाने की मांग की जा रही है जिससे कि प्लांट हमेशा चालू भी रहे और जो ऑक्सीजन बन रही है उसे बेचकर प्लांट का आर्थिक भार भी काम किया जा सके।

एसडीएम तहसीलदार में व्यवस्थाओं का लिया जायजा

शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी का 10 मई को एसडीएम राजीव रंजन पांडे एवं तहसीलदार शेख इमरान मंसूरी के द्वारा उच्च अधिकारियों की निर्देश पर अस्पताल का निरीक्षण लिया गया जिसमें उनके द्वारा भर्ती वार्ड में मरीजों की व्यवस्थाएं देखी गई। जिसके बाद सीधे ऑक्सीजन प्लांट पहुंचे जहां पर प्लांट के संबंध में समस्त प्रकार की जानकारी ली गई कि किस प्रकार से प्लांट चलाया जाता था और कब से बंद है यदि यह प्लांट बंद है तो क्या कार्यवाही की गई है और शिकायत किस स्तर तक कितनी बार भेजी गई है। इस प्रकार की समस्त जानकारी लेने के बाद वह मौके से रवाना हो गये।

ग्रामीण मनोज राजुलकर बताया कि लाखों रुपए की लागत से अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट कोरोना काल के दौरान सरकार के द्वारा लगवाया गया था जिसका उद्देश्य कोरोना काल में मरीजों को हो रही ऑक्सीजन की कमी को दूर करना था। जिसके लिए प्लांट बनाकर ऑक्सीजन पाइपलाइन की फिटिंग भी की गई परंतु बाद में आवश्यकता ना होने पर मॉक ड्रिल की जाती थी परंतु अभी कुछ महीनो से यह देखने नहीं मिल रहा है और पता चला है कि ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा हुआ है। इसमें अब क्या समस्या है इसकी हमें ज्यादा जानकारी तो नहीं है और ना ही हम टेक्निकल है परंतु इस प्रकार यदि बंद रहेगा जिससे यदि आगे कोई बड़ी टेक्निकल समस्या उत्पन्न होती है और इस दौरान ऑक्सीजन गैस की गुणवत्ता पर यदि कोई फर्क पड़ता है तो यह एक बड़ी समस्या हो सकती है। आवश्यकता पूर्व निर्धारित नहीं होती है कभी भी ऑक्सीजन के कमी के कैश बढ़ सकते हैं जिसमें प्लांट से ऑक्सीजन देना पड़े परंतु प्लांट बंद रहेगा तो ऐसे में बालाघाट ही जाना पड़ेगा। जब स्थानीय स्तर पर लाखों रुपए की लागत से प्लांट का निर्माण किया गया है तो उसका रखरखाव एवं व्यवस्था पर प्रशासन को ध्यान देकर सुधार कार्य करना चाहिए।

इनका कहना है

ऑक्सीजन प्लांट बीते करीब 2 महीने से अधिक का समय हो गया बंद पड़ा हुआ है इसमें अब क्या समस्या है इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि प्लांट चालू नहीं हो रहा है जो भी हो टेक्निकल समस्या है और उतना हमें समझ नहीं आता है। जिसके लिए जिला प्रशासन को पत्राचार किया गया है की टेक्निकल टीम के द्वारा उक्त समस्या का निराकरण का प्लांट को प्रारंभ किया जाये।

डॉ कमलेश झोड़े बीएमओ
शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी

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