अतिथि शिक्षकों ने तीन माह का मानदेय एवं महापंचायत में की गई घोषणा को पूरा करने की सरकार से की मांग

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नगर मुख्यालय के हाई स्कूल मैदान स्थित सभामंच में २४ जून को अतिथि शिक्षक संघ लालबर्रा की बैठक संपन्न हुई। यह बैठक अतिथि शिक्षक संघ लालबर्रा के अध्यक्ष उत्तम नगपुरे एवं अन्य पदाधिकारी व अतिथि शिक्षकों की उपस्थिति में प्रारंभ हुई। आयोजित बैठक में तीन का माह मानदेय नही मिलने, २ सितंबर २०२३ को अतिथि शिक्षक महापंचायत के आदेश पारित नही होने एवं लंबित मांगों को पूरा करवाने के लिए भोपाल के डीपीआई के सामने चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल होने सहित अन्य बिन्दुओं पर चर्चा कर अपनी जायज मांगों को पूरा करवाने के लिए आंदोलन किये जाने की रणनीति तैयार की गई। जिसके बाद सभी अतिथि शिक्षक बीआरसी कार्यालय पहुंचकर बीआरसी एवं विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बीईओं को ज्ञापन सौंपकर तीन माह का मानदेय दिये जाने एवं २ सितंबर २०२३ को अतिथि शिक्षक संघ के महापंचायत में जो आदेश पारित हुए है उसे लागू कर नियमितीकरण किये जाने की मांग की है एवं मांगे जल्द पूरी नही होने पर आंदोलन करने की भी शासन-प्रशासन को चेतावनी दी है। चर्चा में अतिथि शिक्षकों ने बताया कि हम लोग अल्प वेतनमान में शासकीय स्कूलों में शिक्षा अध्यापन कार्य (बच्चों को पढ़ाते है) परन्तु हम लोगों को समय पर मानदेय नही मिलने से परेशानी होती है, अब तक मार्च, अप्रैल, मई का मानदेय नही मिला है जिससे परिवार का पालन-पोषण करने में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और आर्थिक परेशानियों से जुझ रहे है। साथ ही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के द्वारा २ सितंबर २०२३ को अतिथि शिक्षकों के हित में विभिन्न घोषणाएं की गई है परन्तु अब तक उक्त घोषणा का आदेश जारी नही हुआ है जिसके कारण सभी अतिथि शिक्षक मानसिक रूप से परेशान है और सरकार को महापंचायत में की गई घोषणा को याद दिलवाने के लिए भोपाल के डीपीआई के सामने अतिथि शिक्षकों के द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है। उसके बाद भी सरकार हमारी मांगो को पूरा नही कर रही हैै जिससे सभी अतिथि शिक्षकों में सरकार के प्रति आक्रोश व्याप्त है। आगे बताया कि २४ जून को लालबर्रा ब्लाक अतिथि शिक्षक संघ की बैठक आयोजित कर लंबित मांगों पर चर्चा कर बीआरसी एवं बीईओं को ज्ञापन सौपकर तीन माह का मानदेय जल्द दिलवाये जाने एवं नियमितीकरण किये जाने की मांग की गई है और उक्त मांगे पूरी नही होने पर आंदोलन करने बाध्य होगें जिसकी जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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