वारासिवनी नगर सहित क्षेत्रों में 25 सितंबर को हलषष्ठी पर्व हर्षोल्लास के साथ धार्मिक मान्यता अनुसार मनाया गया। जिसमें माताओं के द्वारा सुबह व्रत धारण कर विधि विधान से पूजन अर्चन कर संतान की दीर्घायु की कामना की गई। इसी कड़ी में नगर के विभिन्न स्थान पर लोगो ने अपने निवास पर आसपास की महिलाओं को एकत्रित कर हलषष्ठी पूजा की गई। जिसमें विधि विधान से नियमानुसार पलसे के पत्ते, कुशा की कांडी, महुआ की डाल व अन्य चीजों की पूजा सजाकर भगवान शिव माता पार्वती की पूजा अर्चना कर कथा का वाचन किया गया जिसके बाद आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया। विदित हो कि हल छठ पर्व का धार्मिक महत्व बहुत है यह पर्व भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अपनी संतान की उन्नति और दीर्घायु के लिए हलछठ व्रत रखती है इसके पीछे श्री कृष्ण की एक कथा है कि महाभारत के समय सभी ने देखा होगा कि सुभद्रा का गर्व अश्वत्धामा खंडित कर देता है तो यह व्रत कर गर्भ वापस आता है। इसमें पूजा की विधि सामान्य पलाश के पौधों का पूजन कर महुआ 6 प्रकार की लाही चना बटरा और इसमें महिलाएं व्रत रखती एवं हल बखर का जूता हुआ कोई भी अनाज नहीं खाती है। इसी प्रकार से समूचे क्षेत्र में हलषष्ठी व्रत मनाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रही।