नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने रेप के मामलों में झूठे वादे के आरोपों पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट का कहना है कि बदलते सामाजिक मूल्यों के साथ, प्रेम संबंधों में असफलता को रेप का मामला नहीं बनाना चाहिए। कोर्ट एक ऐसे शख्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिस पर उसकी मंगेतर ने शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने इस तरह के मामलों को रूढ़िवादी मानसिकता का परिणाम बताया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामलों को निष्पक्षता से देखना चाहिए, केवल पीड़िता के नजरिए से नहीं।
‘रूढ़िवादी मानसिकता काम कर रही है’
बेंच ने आगे कहा कि ऐसे मामले अक्सर रूढ़िवादी सोच के कारण होते हैं। बेंच ने कहा, ‘रूढ़िवादी मानसिकता काम कर रही है क्योंकि यहां आदमी को दोषी ठहराया जाता है। हमारी व्यवस्था में कमियां हैं। कई बार लड़की अपने ससुरालवालों के खिलाफ 5 मामले दर्ज कराती है। आप हमसे जो भी टिप्पणी चाहते हैं या हाई कोर्ट की टिप्पणी को रद्द करना चाहते हैं… वह ठीक है… अंततः आप पीड़ित हैं।’ इसका मतलब है कि समाज में अभी भी यह माना जाता है कि अगर कोई लड़का किसी लड़की के साथ संबंध बनाता है तो उसे उससे शादी करनी चाहिए। अगर वह शादी नहीं करता है, तो उसे दोषी माना जाता है।