युद्ध कला में माहिर थीं दोनों हाथों से तलवार चलाने वाली रानी दुर्गावती, MP के इस जिले से है संबंध

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Rani Durgavati Death Anniversary: अनुकृति श्रीवास्तव, जबलपुर। दोनों हाथों से तलवार चलाने वाली गढ़ा मंडला की रानी दुर्गावती ने अपने राज्य में जनता को बेहतर शासन व्यवस्था दी। दुर्गावती ने नारी सशक्तीकरण का उदाहरण तो पेश किया ही, पूरे राज्य में एक समान कर व्यवस्था भी लागू की थी। मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से करीब 24 किलोमीटर दूर बरेला रोड पर स्थित समाधि स्थल पर पहुंचने वाले पर्यटक उनकी वीरगाथा को सुनकर आश्चर्य करते हैं। वे युद्धकला में माहिर थीं। बताते हैं कि 1564 में बरेला में युद्ध के दौरान एक सामंत ने उन्हें धोखा दे दिया था। इसके चलते वे 24 जून को वीरगति को प्राप्त हुईं।

पांच अक्टूबर 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में कालिंजर के राजा कीरत सिंह चंदेल के यहां जन्मी दुर्गावती अपने पिता की इकलौती संतान थीं। दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण नाम दुर्गावती रखा गया था। रानी का विवाह गोंड शासक दलपत शाह से हुआ। उनका 1548 में निधन हो गया। इसके बाद रानी ने शासन संभाला। इसी दौरान उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार और उसकी रक्षा गलेज के लिए कई युद्ध लड़े।

व्यूह रचना करके लड़ती थीं युद्ध

गोंडवाना के इतिहास पर शोध करने वाले इतिहासकार डॉ. आनंद सिंह राणा बताते हैं कि रानी के पास मुगलों से कम सेना थी पर कभी भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे व्यूह रचना करके युद्ध लड़ती थीं। जब सेना कम होती थी तो रानी अर्धचंद्र व्यूह बनाती थीं। इसमें अर्धचंद्र के आकार में सेना एक साथ दुश्मन पर हमला करती थी। दूसरी ओर रानी द्वारा बनाया गया क्रोंच व्यूह भी बड़ा असरकारक था। यह क्रोंच पक्षी के आकार का व्यूह होता था जिसमें रानी पक्षी के मुंह की तरफ खड़ी होती थीं। रानी की रणनीति में दुश्मन को संभलने का अवसर नहीं मिलता था। डॉ. राणा मानते हैं कि अगर सामंत धोखा नहीं करता तो इतिहास कुछ और होता।

महिला सशक्तीकरण को दिया बढ़ावा

रानी दुर्गावती ने अपने शासन में महिलाओं को महत्व को हमेशा स्वीकार किया। वे नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देती रहीं। वे खुद भी इसका साक्षात उदाहरण थीं। उन्होंने अपनी सेना में महिला टुकड़ी को भी शामिल किया था। इस टुकड़ी ने रानी के साथ युद्ध में अपना कौशल दिखाया। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने का प्रयास किया। साथ ही लाख जैसे कुटीर उद्योग से जोड़ कर आर्थिक रूप से मजबूती भी दी।

रानी के शासन में थी बेहतर कर व्यवस्था

डॉ. राणा ने बताया कि रानी ने अपने 16 वर्ष के शासनकाल में पूरे राज्य में एक समान कर व्यवस्था लागू की थी। यह कर सोने के सिक्कों और हाथियों से चुकाया जाता था। अबुल फजल द्वारा लिखे गए आइना-ए-अकबरी में रानी दुर्गावती की कर प्रणाली का विस्तृत वर्णन है। वहीं अंग्रेज कर्नल स्लीमन ने भी रानी की कर प्रणाली के बारे में लिखा है। कर व्यवस्था से जनता और व्यापारी वर्ग काफी खुश थे।

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