कौन हैं सोर्ड मारजेन? भारतीय महिला हॉकी टीम के इतिहास रचते ही क्यों हो रही चर्चा

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Indian Women Hockey Team Coach: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने सोमवार को इतिहास रच दिया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि भारतीय महिला हॉकी टीम ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंची है। भारतीय टीम की मेहनत और लगन से आज पूरे भारत का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। लेकिन टीम की मेहनत के पीछे सोर्ड मारजेन का बहुत बड़ा हाथ है। जब से सोर्ड मारजेन ने भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच बने हैं तब से भारतीय महिला हॉकी टीम में दिन-ब-दिन बेहतर होती जा रही है। हालांकि, मारजेन के लिए यह इतना आसान नहीं था। भारतीय महिला टीम को संवारने और तराशने वाले सोर्ड मारजेन के लिए यह हीरे तराशने जितना मुश्किल काम था।

ऐसी हालात में सोर्ड ने किया था टीम को ज्वाइन

2017 में जब सोर्ड मारजेन भारतीय महिला हॉकी टीम के बतौर कोच बने थे तब टीम की हालत खस्ता थी। यह वो दौर था जब पहली बार भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में 12वें स्थान पर रहने के बाद उबर रही थी। उस समय भारतीय महिला हॉकी टीम के हाथ में कुछ बड़ा नहीं आया था। बिना किसी जीत के घर वापस लौटने पर कई तजुर्बेकार प्लेयर्स ने टीम को छोड़ दिया था। ऐसे में एक नई टीम बनाने का पूरा जिम्मा सोर्ड के ऊपर आ गया था। मगर सोर्ड ने कभी हार नहीं मानी और उन्होंने एक मजबूत टीम का निर्माण किया। 

प्लेयर्स का माइंडसेट बदलने पर दिया जोर

इस बुरे हालात में टीम ज्वाइन करने के बाद मारजेन ने सबसे पहले अपना लक्ष्य साधा। उनकी सबसे बड़ी और पहेली चुनौती यह थी कि उन्हें हॉकी प्लेयर्स को मानसिक रूप से मजबूत बनाना था। खिलाड़ियों का माइंडसेट बदलने में उनके स्किल्स बहुत काम आए। आपको बता दें कि कोच होने के साथ-साथ मारजेन एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। एक मोटिवेशनल स्पीकर होने के नाते उन्होंने सबसे पहले अपने प्लेयर्स को मानसिक रूप से दृढ़ बनाया। 

मारजेन को दिया गया कबीर खान का नाम

जब से भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक के फाइनल में अपनी जगह बनाई है तब से लोग सोर्ड मारजेन को चक दे इंडिया के कोच कबीर खान का नाम दे रहे हैं। लोगों के अनुसार, सोर्ड अब रियल लाइफ के कबीर खान बन गए हैं। जब भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई थी तब सोर्ड के आंखों में आंसू आ गए थे। ‌

सोर्ड का स्टाइल है सबसे अलग

अलग-अलग कोच अपनी टीम को अलग-अलग तरह से तरबियत देते हैं। ‌सोर्ड का तरीका भी सबसे जुदा है। वह प्लेयर्स को अपनी परेशानी खुद हल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनका मानना है कि खिलाड़ियों को अपनी परेशानी खुद हल करनी चाहिए। ऐसे में वह खेल के मैदान में तमाम परेशानियों से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं।

मारजेन के मार्गदर्शन में भारतीय महिला हॉकी टीम छोड़ रही है अपने छाप

यह मारजेन की‌ तरबियत का असर है कि भारतीय महिला हॉकी टीम के खेल में सुधार आया है। सबसे बड़ा फर्क तो यह नजर आता है कि भारतीय महिला हॉकी टीम अब किसी भी चुनौती को स्वीकार करने के लिए खड़ी रहती है। इसी बदलाव के चलते भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक चैंपियन ग्रेट ब्रिटेन को उनके घर में ही हराया था और वर्ल्ड कप में स्पेन जैसे देश को चुनौती दी था।

ओलंपिक के लिए मारजेन ने कैसे तैयार की टीम

खेल‌ के सभी दांव-पेंच सिखाने के साथ मारजेन ने भारतीय महिला हॉकी टीम के मानसिक स्वास्थ्य पर बल दिया है। उनका मानना है कि पहले भारतीय महिला हॉकी टीम हार मान जाती थी मगर अब वह आपस में सलाह मशविरा करते हैं और गेम चेंज कर देते हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि उनके मानसिक स्वास्थ्य में काफी सुधार आया है।

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