‘थलाइवी’ एक्ट्रेस कंगना रनोट ने ‘द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ से की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की तुलना, रीजनल सिनेमा को बताया बेहतर

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एक्ट्रेस कंगना रनोट की साउथ इंडियन डेब्यू फिल्म ‘थलाइवी’ शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस बायोपिक फिल्म में कंगना जे जयललिता के किरदार में नजर आएंगी। अब हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कंगना रनोट ने कहा है कि तमिल फिल्म इंडस्ट्री की तुलना में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ‘टॉक्सिक’ (विषाक्त) है और इसमें ‘सहानुभूति’ की कमी है। उन्होंने यह भी कहा है कि बॉलीवुड में प्रवेश करना ‘द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ को तोड़ने जैसा है। वहीं कंगना ने यह स्वीकार किया है कि चूंकि वह साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अभी नई हैं, इसलिए रीजनल फिल्म इंडस्ट्रीज के बारे में उनका बहुत सतही दृष्टिकोण है।

हिंदी इंडस्ट्री में कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति के लिए खुश नहीं है
कंगना रनोट ने कहा, “रीजनल सिनेमा के बारे में जो बात बहुत खास है, यहां पर लोग एक कॉमन ग्राउंड तलाश लेते हैं। वो जरूरत के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं और यही बात उन्हें जोड़े रखती है। जबकि हिंदी फिल्मों की बात करें तो यहां बहुत विविधता है, क्योंकि हम सभी मुंबई चले गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हमेशा एक टेंशन बनी रहती है। हिंदी इंडस्ट्री में हर कोई हर किसी को नीचे गिराने की कोशिश में लगा है, जो सही नहीं है। यह इतनी जहरीली जगह बन गई है कि कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति के लिए खुश नहीं है। हम एक कॉमन ग्राउंड नहीं ढूंढ पा रहे हैं, जिससे हम अपनी पहचान बना सकें।”

यहां प्यार, हमदर्दी और भाईचारा जैसी कोई चीज नहीं है
कंगना रनोट ने आगे कहा, “हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी जगह जहां प्यार, हमदर्दी, भाईचारा, करुणा जैसी कोई चीज नहीं है। आप केवल कल्पना कर सकते हैं कि वह जगह कितनी ‘टॉक्सिक’ होगी। वहीं रीजनल सिनेमा ऊंचाइयों पर जा रहा है। यहां पर ऐसी जगह देखने को मिलती है, जहां लोग एक दूसरे के प्रति अद्भुत व्यवहार रखते हैं। मैं उम्मीद करती हूं कि ये ऐसा ही रहेगा, यहां आने वाले कई लोग इसे बर्बाद ना करें।

कंगना ने कहा कि जब उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री की थी, तो वहां कोई प्रॉपर प्रोसेस नहीं थी। कोई कास्टिंग एजेंट नहीं थे। एक्टर्स को लॉन्च करने के लिए कोई ओटीटी नहीं थे। यह बहुत मुश्किल समय था। उन्होंने बताया कि तब वे हताश हो गई थीं और उनके लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति थी। उन्होंने कहा कि सारे रास्ते बंद हो जाने पर बॉलीवुड की ‘चीन की दीवार’ में रास्ता बनाने के लिए उन्हें खुद ही लड़ाई लड़नी पड़ी थी। इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था।

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