अयूब खान से मुनीर तक… पाकिस्तान सेना का धोखेबाजी का इतिहास, फिर ट्रंप ने लंच कर क्‍यों तोड़ा दिल्ली का दिल, भारत कैसे करे काउंटर?

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वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ओवल ऑफिस में पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात कर भारत को असहज कर दिया है। ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने में हुए संघर्ष के अगले महीने ही पाकिस्तान के आर्मी चीफ से मुलाकात किया है। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच का रिश्ता अविश्वास और अवसरवाद के बीच लटका रहा है, जिसपर दोनों देश झुलते रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप भी वही कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान को मिलने वाले सैन्य फंड को रोककर सख्त रवैया अपनाया था। लेकिन असीम मुनीर से अमेरिकी राष्ट्रपति की मुलाकात उसी अवसरवाद का एक उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कनाडा में मुलाकात होने वाली थी। लेकिन ईरान-इजरायल युद्ध की वजह से ट्रंप पहले चले गये। जिसके बाद मोदी और ट्रंप में टेलीफोन पर बात हुई। इस दौरान ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री को अमेरिका आने का न्योता दिया, लेकिन मोदी ने व्यस्तता का हवाला देकर अमेरिकी राष्ट्रपति के न्योते को ठुकरा दिया।

अमेरिका में काम कर चुके पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इसकी तुलना इंदिरा गांधी से की है, जिन्होंने 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन की धमकी को ताक पर रखते हुए पाकिस्तान का बंटवारा कर दिया था। डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से उसी पाकिस्तानी सेना के लिए प्यार लुटा रहे हैं, जिसने अतीत में अमेरिका को बार बार धोखा दिया है। ये बात खुद डोनाल्ड ट्रंप भी स्वीकार चुके हैं। ट्रंप-मुनीर की मुलाकात के बाद पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की वो मशहूर बात याद आती है, जिसमें उन्होंने इस्लामाबाद में कहा था कि ‘आप आंगन में सांप पालकर ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो आपको नहीं डंसेगा।’

पाकिस्तान पर क्यों प्यार छलका रहे डोनाल्ड ट्रंप?
इंडो-पैसिफिक पर नजर रखने वाले अमेरिकी जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट डेरेक जे ग्रॉसमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्रंप-मुनीर मुलाकात पर लिखा है कि “तो… पाकिस्तानी फील्ड मार्शल असीम मुनीर व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ लंच पर बैठेंगे। ट्रंप के शासन में अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते इतने बेहतर हैं, जितना किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा। सॉरी इंडिया।” इसके अलावा उन्होंने अपने एक और एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा था कि ‘अमेरिका भले ही भारत के साथ काफी करीबी संबंध बनाए लेकिन पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध को नई दिल्ली को अलग नजरिए से देखना चाहिए।’ व्हाइट हाउस में यह बैठक ऐसे समय हुई है, जब साउथ एशिया और मिडिल ईस्ट में तनाव अपने चरम पर है। भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव और ईरान-इजरायल संघर्ष ने अमेरिकी नीति निर्माताओं को क्षेत्र में फिर से सक्रिय होने को मजबूर किया है। ट्रंप का असीम मुनीर से मुलाकात करना संकेत है कि अमेरिका एक बार फिर पाकिस्तान की सेना को अपने रणनीतिक खेल में शामिल करना चाहता है, लेकिन सवाल ये हैं कि जब पाकिस्तान पहले से ही चीन के खेमे में बैठा है तो अमेरिका, पाकिस्तान से क्या हासिल कर लेगा?

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