जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की खंडपीठ ने जबलपुर के जिला कलेक्टर के एक आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट का मानना था कि कलेक्टर ने एक व्यक्ति को रासुका के तहत हिरासत में लिया और गैरकानूनी तरीके से जेल में रखा। इस मामले में कोर्ट की ओर से राज्य सरकार पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए.के. सिंह की पीठ ने निर्देश दिया कि यह राशि 15 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता के खाते में ट्रांसफर कर दी जाए। याचिकाकर्ता जबलपुर के अनुराग ठाकुर ने उच्च न्यायालय में अपनी दलील दी कि कलेक्टर ने मजिस्ट्रेट के रूप में उन्हें 28 नवंबर, 2024 को रासुका के तहत 3 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। जिला कलेक्टर के आदेश का राज्य सरकार ने 5 दिसंबर, 2024 को समर्थन किया था।
नियमों का किया गया उल्लंघन
जेल में रहने के दौरान उनकी जेल की अवधि लगातार बढ़ाई जाती रही। उन्होंने तर्क दिया कि रासुका के तहत किसी को हिरासत में लेने के राज्य सरकार के आदेश को अनिवार्य रूप से केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए, लेकिन उनके मामले में ऐसा नहीं किया गया। हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि एनएसए के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में केंद्र सरकार को सूचित करना आवश्यक नहीं है।
पीठ ने अपने फैसले में क्या कहा
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एनएसए जैसे विशेष आपराधिक कानूनों के मामले में कानून के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इस पूरे मामले में पीठ ने कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया है, जबकि राज्य सरकार पर 50 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है।