केन्द्र सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने की दिशा में एक और कदम उठाया है। तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद सरकार MSP समेत तमाम मांगों पर बातचीत के लिए तैयार है। इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा और सुझाव के लिए सरकार ने एक समिति बनाने का फैसला किया है, और इसके लिए किसान मोर्चा से अपने 5 प्रतिनिधियों के नाम मांगे हैं। किसान नेता दर्शनपाल ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसान संगठन इस मामले में चार दिसंबर को होने वाली बैठक में कोई फैसला लेंगे। आपको बता दें कि किसान संगठन पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इसके साथ एक अलग शर्त जोड़ दी है। टिकैत का कहना है कि सरकार 4 दिसंबर को होनेवाली बैठक से पहले हमसे MSP की गारंटी और किसानों की मौत मामले में बातचीत करे।
इस महीने की शुरुआत में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और MSP को ज्यादा प्रभावी और पारदर्शी बनाने के विषयों पर फैसला लेने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल होंगे। इसी के आलोक में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से भी उनके प्रतिनिधियों के नाम मांगे गये हैं। SKM, 40 से ज्यादा फार्म यूनियनों का संगठन है, जो MSP के लिए कानूनी गारंटी सहित तीन कृषि कानूनों और उनकी दूसरी मांगों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक किसान संगठन जल्द अपना आंदोलन खत्म कर सकते हैं। अगर सहमति बन गई तो किसान संगठन 4 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने की तारीख दे सकते हैं। उधर, बुधवार को हरियाणा सरकार किसानों के साथ बैठक करनेवाली है। इस दौरान सरकार किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेने पर चर्चा करेगी। अगर सहमति बन गई, तो किसानों की एक और मांग पूरी हो जाएगी। सरकार पराली जलाने को अपराध मानने वाले कानून को भी रद्द करने का फैसला पहले ही ले चुकी है।