कैसे बनेगी गांव की सरकार?

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मध्यप्रदेश में होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर पेंच फंसता जा रहा है एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने की बात कही जा रही है तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ओबीसी वर्ग को रिझाने के लिये ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव करवाने की बात कहीं जा रही है।

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण एक तरह से सरकार के गले की फांस बन गई है। यदि सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार चुनाव सम्पन्न करवाती है तो उन्हें आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगताने का डर भी सता रहा है।

प्रदेश की ५० फीसदी से अधिक आबादी अगर देखी जाये तो वो ओबीसी वर्ग से आती है और ऐसे में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करवाना सरकार के लिये एक तेड़ी खीर साबित होगा।

लालबर्रा जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत ७७ ग्राम पंचायत है जिसमें वर्ष २०१४ में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ३२५ पंच, १९ सरपंच, ६ जनपद सदस्य व १ जिला पंचायत सदस्य के लिए आरक्षित की गई थी किन्तु वर्तमान में उक्त सीटे सामान्य कर दी गई है जिसे ओबीसी वर्ग के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को गलत बताया जा रहा है एवं इस निर्णय से ओबीसी वर्ग का दर्द छलकता दिख रहा है।

लालबर्रा जनपद पंचायत अंतर्गत वर्ष २०१४ में आयोजित त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए जनपद सदस्य के लिए क्षेत्र क्रमांक ६ में अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, क्षेत्र क्रमांक ८ में अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, क्षेत्र क्रमांक २० में अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, क्षेत्र क्रमांक २२ में अन्य पिछड़ा वर्ग, क्षेत्र क्रमांक २४ में अन्य पिछड़ा वर्ग एवं १९ ग्राम पंचायतों में सरपंच व पंच के लिए ३२५ पद के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी जहां वर्तमान में संशय की स्थिति बनी हुई है और उम्मीदवारों में भी किसी तरह का उत्साह व रूझान दिखाई नही दे रहा है और चुनाव को लेकर इन क्षेत्रों में मायूसी छाई है।

पंचायत चुनाव में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आएगी चुनावी माहौल बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे इस पूरे समर में शामिल नहीं होने का दर्द ओबीसी वर्ग का दर्द बढ़ता जाएगा । फिलहाल देखना अब यह है की न्यायालय कब तक दूसरे आदेश के रूप में ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों को मरहम देती है।

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