मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेशचंद्र थपलियाल व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आसिफ अब्दुल्ला के मार्गदर्शन में १३ अगस्त शनिवार को तहसील न्यायालय वारासिवनी में विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट एवं अध्यक्ष, तहसील विधिक सेवा समिति, वारासिवनी के नेतृत्व में वर्ष २०२२ की द्वितीय नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ कार्यक्रम प्रात: १०.३० बजे समस्त न्यायाधीशगण, पुलिस विभाग, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम), अधिवक्तागण, समस्त न्यायालय कर्मचारीगण एवं बैंक, एमपीईबी, राजस्व विभाग के अधिकारीगण एवं अन्य कर्मचारीगण साथ ही पक्षकारों की उपस्थिति में मां सरस्वतीजी के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर पुष्प सुमन एवं प्रसाद अर्पित कर सादे समारोह में शुभारंभ किया गया। उक्त नेशनल लोक अदालत में, व्यवहार न्यायालय वारासिवनी में कुल ०६ खण्डपीठों का गठन किया गया। जिसमें से खण्डपीठ क्रमांक १६ प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सुधीर सिंह ठाकुर की खण्डपीठ से विद्युत अधिनियम के न्यायालय में लंबित प्रकरणों में ८ प्रकरणों का निराकरण किया गया एवं १४२९५२/-रूपये की राशि वसूली की गई। साथ ही मोटर दुर्घटना दावा एवं क्षतिपूर्ति से संबंधित ४ प्रकरणों का निराकरण किया जाकर २३,०५,०००/-रूपये का अवार्ड पारित किया गया। इस प्रकार उक्त खण्डपीठ में कुल १२ प्रकरणों का निराकरण गया जिसमें कुल २४,४७,९५२/ के अवार्ड पारित किये गये। खण्डपीठ क्रमांक १७ द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ से मोटर दुर्घटना दावा एवं क्षतिपूर्ति से संबंधित ५ प्रकरणों का निराकरण किया जाकर २०,९९,०००/-रूपये का अवार्ड पारित किया गया एवं हिन्दू विवाह से संबंधित १ प्रकरण निराकृत किया गया। इस प्रकार उक्त खण्डपीठ में कुल ६ मामलों का निराकरण किया जाकर २०,९९,००० की राशि का अवार्ड पारित किया गया। खण्डपीठ क्रमांक १८ द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड शैलेन्द्र रैकवार की खण्डपीठ में एनआईए १३८ का ०२ प्रकरण निराकृत किया गया एवं ८०००० रूपये की राशि वसूल की गई। आपराधिक शर्मनीय प्रकृति के २३ मामलों को निराकृत किया गया। इस प्रकार उक्त खण्डपीठ से कुल २५ प्रकरणों का निराकरण किया गया। इसी क्रम में खण्डपीठ क्रमांक १९ के द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड चैतन्य अनुभव चौबे के न्यायालय द्वारा आपराधिक एवं शमनीय प्रकरणों के ८ प्रकरण निराकृत किये गये एवं एनआईएक्ट के २ प्रकरणों का निराकरण किया गया जिसमें ३,२०,००० रूपये की राशि परक्राम्य लिखित अधिनियम के तहत् समझौता राशि के रूप में दिलाई गई एवं धारा १२५ के अंतर्गत भरण पोषण का १ मामले का निराकरण किया गया। इस प्रकार उक्त खण्डपीठ में कुल ११ प्रकरणों का निराकरण किया जाकर ३२०,००० रूपये की राशि वसूल की गई। इसी क्रम में खण्डपीठ क्रमांक २० के पीठासीन अधिकारी श्रीमती प्रीति चैतन्य चौबे प्रथम व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड के न्यायालय द्वारा आपराधिक एवं शमनीय प्रकरणों के १६ प्रकरण का निराकरण किया गया एवं एनआईएक्ट के १ प्रकरण का निराकरण किया जाकर, १,००,०००/ रूपये की राशि लिखित अधिनियम के तहत समझौता के रूप में दिलाई गई। अन्य प्रकरणों में धारा १२५ के ८ मामलों का निराकरण किया गया एवं एमजेसीआर के ३ प्रकरणों का निराकरण किया गया। इस प्रकार उक्त खण्डपीठ से कुल २८ प्रकरणों का निराकरण किया जाकर १००००० रूपये की राशि वसूल की गई । इसी क्रम में खण्डपीठ क्रमांक २१ के पीठासीन अधिकारी रजनीश ताम्रकार तृतीय व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड के न्यायालय द्वारा आपराधिक एवं शमनीय प्रकरणों के १७ प्रकरण निराकृत किये गये एवं एनआईएक्ट का १ प्रकरण निराकृत किया जाकर १००००० रूपये की राशि वसूल की गई, एवं धारा १२५ के १ प्रकरण का निराकरण किया गया। इस प्रकार उक्त खण्डपीठ से कुल १९ मामलों का निराकरण किया जाकर १००००० रूपये की राशि वसूल की गई। इस प्रकार प्री-लिटिगेशन के रखे गये कुल मामलों में से ८३ मामलों को निराकृत कर ३,३२,३९४ रूपये की राशि वसूल की गई। इस प्रकार कुल ६ खण्डपीठों में कुल प्रकरण १०१ निराकृत हुये एवं कुल ५१,४६,९५२/-रूपये की राशि वसूल की गई। अन्य लंबित मामलों में पक्षकारों को समझाईश दी गई। उक्त नेशनल लोक अदालत को सफल बनाने में समस्त न्यायालयीन कर्मचारीगण, समस्त बैंक के अधिकारीगण/कर्मचारीगण, पुलिस विभाग के अधिकारीगण राजस्व विभाग के कर्मचारीगण, वन परिक्षेत्र वारासिवनी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगण, म.प्र. विद्युत मण्डल के अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण का सराहनीय सहयोग रहा।