दूसरे दिन भी जारी रहा दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का दौर

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जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में दूसरे दिन भी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जारी रहा। जहा सुबह से लेकर देर शाम तक नगर के विभिन्न जलाशयों में श्रद्धालु भक्तों द्वारा पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना कर माता रानी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया ।इस दौरान दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के समय किन्नरो ने भी बैंड की धुन पर जमकर ठुमके लगाए ।आपको बताएं कि नगर में यह पहली बार है कि नवरात्र पर्व को लेकर किन्नरों में भी भारी उत्साह देखा गया । जहा विसर्जन के दौरान वह भी आम लोगों की तरह विसर्जन में शामिल हुए और आम भक्तों के साथ झूमते नाचते दिखाई दिए । दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के दूसरे दिन गुरुवार को मां के भक्त एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर गाजे-बाजे और ढोल-लगाड़ों पर नाचते-गाते हुए नगर भ्रमण किया। इसके बाद नजदीक के तालाबों, नदियों, नहरों , विसर्जन कुंडो और अन्य ज्लाश्यो मेें मंत्रोच्चार के साथ प्रतिमाओं का विसर्जन किया।आपको बताएं की शारदीय नवरात्र में नौ दिन तक नगर सहित सम्पूर्ण जिले में स्थापित दुर्गा पंडाल भक्तिगीतों से गुलजार रहे। जहा हवन-पूजन के साथ-साथ गीत-संगीत का कार्यक्रम अनवरत रूप से में होता रहा। दशहरा के साथ नवरात्र पर्व समाप्त होने के बाद नगर व नगर समीप गावो स्थित पूजा पंडालों की कुछ मूर्तियों का विसर्जन बुधवार को भक्तों द्वारा तालाबों, नदियों, विसर्जन कुंडो और नहरों में किया गया। तो वही ज्यादातर प्रतिमाओं का विसर्जन दूसरे दिन गुरूवार को भी भक्तों द्वारा किया गया। जहा पूजा पंडालों से मूर्तियों को जयकारे के साथ उठाया गया। मूर्तियों के विसर्जन के साथ ही शारदीय नवरात्र जिले भर में संपन्न हो गया।

विसर्जन से पहले गंगाजल में मां के स्वरूप का किया दर्शन
नगर सहित पूरे जिले में शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि अर्थात विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन का सिलसीला शुरू हो गया। दुर्गा पूजा पंडालों में सप्तमी तिथि से चल रही पूजा समाप्त होने के बाद भक्तों ने नम आंखों से मइया की मूर्ति का विसर्जन किया। जहा बुधवार की तरह ही गुरुवार को भी सुबह विसर्जन से पहले पंडाल में भक्तों ने एक पात्र में गंगाजल भरकर उसके अंदर शीशा रखकर मां के स्वरूप का दर्शन किया। उन्हें दोधि कर्मा (चिवड़ा, दही व चीनी) का प्रसाद अर्पित करके भक्तों ने उसे ग्रहण किया। वही बंगाली महिलाओं ने मां को सिंदूर लगाकर सुहाग की रक्षा की कामना की। इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर ढाकी वादन में नृत्य करके मइया को रिझाया। इसके बाद विसर्जन यात्रा निकाली गई। ढोल-ताशा, डीजे, धमाल की थाप पर मां का जयकारा लगाते हुए मूर्तियों को तालाब, विसर्जन कुंड, नहर, सहित अन्य ज्लाश्यो ले जाया गया। जहा माता के भक्तों ने माता रानी की विशेष पूजा अर्चना आराधना की ,वही आरती उतारी गई ।इसके अलावा क्षमा याचना व अन्य प्रार्थनाएं कर माता रानी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। जहा नगर में विसर्जन का यह सिलसिला सुबह से लेकर देर रात तक चलता रहा।

सुरक्षा व्यवस्था के दिखे पुख्ता इंतजाम
दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान निकाली गई शोभायात्रा में माता रानी के भक्त अबीर गुलाल उड़ाते नजर आए तो वही उनके भजन पर थिरकते श्रद्धालु ,विभिन्न जलाशयों तक पैदल कोई वाहनों से जाते दिखाई दिए। इस दौरान विसर्जन स्थानों पर पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखी गई ।जहां नदियों के भीतर तक पहुंचने वाले श्रद्धालु भक्तों को पुलिसकर्मी रोक की नजर आए ताकि विसर्जन के दौरान कोई बड़ा हादसा ना हो सके ।बताया जा रहा है कि नगर में पिछले 2 दिनों से जारी विसर्जन का यह दौर आगामी 2 दिनों तक और चलता रहेगा ।जहां पूर्ण विधि-विधान और पौराणिक परंपराओं के अनुसार माता के भक्त माता रानी को विदाई देकर उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन करेंगे।

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