शासकीय शंकरसाव पटेल महाविद्यालय जिले का गौरव माना जाता है। मगर इस महाविद्यालय में बीते कुछ माह से गतिरोध उत्पन्न हो रहा है। यह गतिरोध महाविद्यालय प्रशासन व जनभागीदारी समिति के बीच है। जहां जनभागीदारी समिति ५ वर्ष का आय व्यय ब्यौरा मांग रही है जिसे सार्वजनिक किया जा सके मगर महाविद्यालय प्रशासन उक्त ब्यौरा को देने में आना कानी कर रहा है। बताया जा रहा है कि महाविद्यालयीन प्रशासन से जो आर्थिक ब्यौरा मांगा गया है उसमें काफी विसंगति है। जिसके लिये जनभागीदारी समिति द्वारा एक ज्ञापन भी जिलाधीश को ६ बिंदुओं पर सौंपा गया है जिसकी जॉच के लिये बकायदा जिलाधीश ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को अधिकृत किया गया है। जिनके द्वारा यह जॉच करवाई जायेगी।
क्या होती है जन भागीदारी समिति
यहां यह बताना लाजमी है कि जनभागीदारी समिति महाविद्यालय प्रशासन व छात्रों को हो रही समस्याओं के बीच समन्वय स्थापित करती है। जिसमें महाविद्यालय में क्या कार्य करवाना है उसके विषय में प्रत्येक बैठक में चर्चा की जाती है। मगर जब महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति असंतुष्ठ हो तो महाविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगना तय है।
जन भागीदारी समिति के प्रस्तावों पर नही हुई कोई कार्यवाही
गौर करने वाली बात है कि जनभागीदारी समिति का गठन मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा किया गया है। वर्तमान में ६ माह से अधिक समय इस समिति का गठन किये हो चुका है। समितियों द्वारा आय व्यय का ब्यौरा मांगा जा रहा है। मगर कॉलेज प्रशासन इस ब्यौरे को देने में आनाकानी कर रहा है।
इसी तरह का एक मामला वारासिवनी शंकरसाव पटेल महाविद्यालय में भी आया है। जब जन भागीदारी समिति ने महाविद्यालय प्रशासन से आर्थिक आंकड़ो की जानकारी मांगी तो उनके द्वारा यह जानकारी उपलब्ध नही कराई गई। महाविद्यालय प्रशासन का कहना है कि हम इस आंकड़े को पेश नही कर सकते है जबकि वर्ष २०१८ से लेकर वर्ष २०२३ तक यह आंकड़े में काफी आर्थिक अनिमित्ता बरतने का आरोप जनभागीदारी समिति द्वारा लगाया जा रहा है। क्योंकि जो आर्थिक आंकड़े महाविद्यालय के द्वारा पेश किये जा रहे है उसमें व जनभागीदारी समिति के आंकड़ो में काफी भिन्नता पायी जा रही है। ऐसे में महाविद्यालय प्रशासन के ऊपर शंका उठना लाजमी है।
सशस्त्र सेना बल के झंडों के वितरण में भी झोलमोल
वारासिवनी शंकरसाव पटेल महाविद्यालय में जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय की और से प्रत्येक विद्यार्थियों को सशस्त्र सेना बल के झंडे वितरित किये जाने थे। जिस पर नियमानुसार जो नियमित छात्र है उनसे ५ रूपये का शुल्क लेकर यह झंडे देने जाने थे। जिसे शासन के आदेशानुसार उनकी फीस में ही जोड़ दिया गया था। मगर आज तक उन्हे यह झंडा प्राप्त नही हुआ बल्कि इन झंडो का वितरण एक क्ंवाटर खोलकर वितरण किया गया है। जिसमें अनियमित छात्रों को यह झंडे मिल गये मगर रेग्युलर छात्र इस झंडे से वंचित है। ऐसी कई समस्याओं के संदर्भ में जब जनभागीदारी समिति ने आवाज उठाई तो ढॉक के तीन पात्र जैसी कहानी चरितार्थ हो रही है। जनभागीदारी समिति का साफ तौर पर कहना है कि आर्थिक अनिमित्त्ता तो बरती गई है तो जॉच का विषय है।
लेखा परिक्षण से क्यों इनकार?
हम आपकों बताते दे कि जनभागीदारी समिति की बैठक में जब समिति ने इस बात पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई कि ५ वर्ष के समस्थ आर्थिक आय व्यय के लेखा जोखा का परिक्षण करवाया जाये तो सभी लोग राजी थे। मगर आर्थिक घोटाला उजागर न हो जाये संबंधित प्राचार्य ने इस तरह की जॉच पर रोक लगा दी। जिससे साफ स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय में आर्थिक मामले में कुछ गड़बड़ झाला है। तभी तो आर्थिक लेखा परीक्षण की जॉच नही कारवायी करवाये जाना जा रही है।
जॉच प्रारंभ होने के मिले संकेत
सूत्रो के मुताबिक ७१ लाख ५० हजार रूपये के आर्थिक घोटाले में जनभागीदारी समिति द्वारा सौंपे गये ज्ञापन पर जिलाधीश ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व वारासिवनी को जॉच करने के आदेश दिये है। यह जॉच शीघ्र ही प्रारंभ होने की बात सूत्र बता रहे है। स्वयं जिलाधीश इस मामले में अपनी नजरे गड़ाये हुये है। बताया जा रहा है कि सेना सशस्त्र बल का झंडा और ५ वर्ष का ऑडिट को लेकर यह जॉच ३ सदस्यी समिति करेगी जिसमें अगर जो दोषी होगा उस पर कार्यवाही गंभीरता के साथ की जायेगी।
इस मामलें में जनभागीदारी समिति अध्यक्ष प्रफुल्ल बिसेन ने पद्मेश को बताया कि २० अप्रैल २०२३ को वारासिवनी शंकर साव पटेल महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति ने ६ सूत्रीय मांग को लेकर एक ज्ञापन जिलाधीश को सौंपा था। जिसमें जॉच प्रारंभ होने वाली है। एसडीएम महोदया इस जॉच को प्रारंभ करेंगी। श्री बिसेन ने बताया कि जनभागीदारी समिति छात्रों के हित के लिये बनाई गई है जो महाविद्यालय प्रशासन व छात्रों के बीच समन्वय स्थापित कर सके। मगर जो वर्ष २०१८ से २०२२ तक शुल्क वसूली की गई है उसमें काफी डिफरेंस आ रहा है। यह डिफरेंस करीब ७१ लाख रूपये से अधिक है। जब हमने इस बात की जानकारी मांगी तो यह जानकारी देने में आनाकानी कर रहे है। हम चाहते है कि जिस मद में यह राशि जमा की गई है उस राशि व क्या कार्य करवाये गये है उसके बिल व कितना भुगतान किसकों किया गया है। इस बात की जानकारी मांगी गई है मगर पदेन महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा ऐसी कोई जानकारी प्रस्तुत नही की गई है। महाविद्यालय में जो जनभागीदारी समिति कार्य कर रही है वे छात्रों का हित को लेकर कार्य कर रही है। अगर छात्रों का हित हमारी जनभागीदारी समिति नही करेगी तो कौन करेगा। हम चाहते है कि जो डिफरेंस राशि में आ रहा है उसका ब्यौरा प्रस्तुत करे।
पद्मेश को जानकारी देते हुये जनभागीदारी समिति के सक्रिय सदस्य निरंजन बिसेन नेे बताया कि यह पूरा मामला आर्थिक मामले से जुड़ा हुआ है। जनभागीगारी समिति में हम जो मांग कर रहे है उनका जबाव महाविद्यालय की तरफ से जबाव दिया जाये। हमारे द्वारा जो जबाव मांगे गये है उन पर महाविद्यालय प्रशासन जबाव दे। हमारे वर्तमान अध्यक्ष एबीवीपी में कार्य कर चुके है जो छात्र हित की राजनिति को भालीभांति जानते है। हमारा किसी पर आरोप नही है मगर हम जब आय व्यय का ब्यौरा मांग रहे है उसे जनभागीदारी समिति की बैठक में रखा जाना चाहिये। मगर एसएसपी महाविद्यालय के प्राचार्य जो स्वयं जनभागीदारी समिति के सचिव है उनके द्वारा इस तरह का कोई प्रयास नही किया जा रहा है। वारासिवनी महाविद्यालय में अधिकांशता बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से आते है जिन्हे गलत शुल्क के नाम पर ठगा जा रहा हौ। हम चाहते है कि महाविद्यालय का विकास हो और इस महाविद्यालय में पढऩे वाले विद्यार्थी को उच्च शिक्ष मिले मगर महाविद्यालय में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये हम हर संभव प्रयास कर रहे है। हम चाहते है कि बच्चो को अच्छी से अच्छी शिक्षा के साथ उनका आर्थिक दोहन न हो।
इस मामलें में शासकीय शंकरसाव पटेल महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि मेरे द्वारा किसी प्रकार की कोई आर्थिक अनिमित्ता नही बरती गई है। मेरे पूर्व भी ५ वर्ष के भीतर कई प्राचार्य महाविद्यालय का संचालन कर चुके है। रही बात फलैग से संबंधित तो हमने शासन के दिशा निर्देश पर समस्त नियमित छात्र की शुल्क पर ५ रूपये लेकर उन्हे झंडा चिंह दिया है। मगर कुछ लोगों का कहना आ रहा है कि उन्हे झंडे के नाम पर कोई फलेग मिला है। रही बात ७१.५५ लाख रूपये की तो अलग अलग वर्ष अलग अलग कारण है जो जॉच का विषय है। हम किसी भी अपने समकक्ष अधिकारी के खिलाफ जॉच के आदेश नही दे सकते। मेरे पूर्व भी कई प्राचार्य रहे है जिन पर जॉच जारी है। समिति पूर्व प्राचार्य की जॉच करने सक्षम नही है ऐसा हमारे नियम में लिखा है। जिसकी जानकारी भी हमारे द्वारा प्राप्त की गई है। अगर यह जॉच होती है तो वो भोपाल स्तर की जॉच होगी।
इनका कहना है –
उक्त संबंध में दूरभाष पर बताया कि महाविद्यालय व जनभागीदारी समिति अध्यक्ष को पत्र भेजकर जबाव मांगा गया था। जिसमें अध्यक्ष के द्वारा दस्तावेज उपलब्ध कराये गये है वही महाविद्यालय ने भी जबाव इस संबंध में दे दिया है। जिसमें विस्तृत जॉच कर जिला कलेक्टर को रिपोर्ट दी जायेगी। वर्तमान में जॉच जारी है।