गुजरात के सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर में बड़वानी व धार जिले के तटीय गांवों के कई धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल जलमग्न हो जाते हैं। बड़वानी के रोहिणी तीर्थ स्थित अति प्राचीन शिवालय हो या चिखल्दा का शिव मंदिर। नर्मदा नदी के दोनों तटों पर कुछ शिवालय अत्यंत पुरातन हैं। नर्मदा व शिव पुराण सहित अन्य पुराणों व ग्रंथों में इन शिवालयों का भी उल्लेख बताया जाता है।
वहीं ऐसी भी किवदंतियां हैं कि नर्मदा नदी में स्थित अति प्राचीन शिवालयों में एवं इनके आसपास तटों पर देवता, असुर व ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। तपस्वियों का स्थल रहे ये सिद्ध शिवालय बैकवाटर के बढ़ते ही नर्मदा नदी में जलमग्न हो जाते हैं, वहीं पानी उतरते ही दर्शनार्थ खुल जाते हैं। क्षेत्र के नर्मदा भक्तों ने ऐसे शिवालयों के विस्थापन और संरक्षण की मांग की है। कुछ प्रमुख शिवालयों पर नईदुनिया की रिपोर्ट।
माता रोहिणी, लोमष, करदम व अन्य ऋषि मुनियों ने की है तपस्या
ज्योतिषाचार्य पंडित चेतन उपाध्याय के अनुसार नर्मदा नदी पर प्रसिद्ध रोहिणी तीर्थ राजघाट है। रोहिणी तीर्थ व नर्मदा तट के प्राचीन शिवालयों में माता रोहिणी एवं ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। श्राप से मुक्ति के लिए माता रोहिणी ने यहां तपस्या की इसलिए इसे रोहिणी तीर्थ कहा जाता है। वहीं यहां पर शिवालयों में लोमष ऋषि, करदम ऋषि एवं चिकलिस ऋषि ने भी तप किया है।