नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत हुई है। इससे पहले ट्रंप ने पहलगाम आतंकवादी हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री से फोन पर बात की थी और आतंकवाद के खिलाफ अपना मंसूबा जाहिर किया था। लेकिन, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर करवाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ने गलत दावा करके दोनों देशों के रिश्तों के बीच एक शिथिलता पैदा कर दी थी। लेकिन, बुधवार को विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया है कि किस तरह से जी7 शिखर सम्मेलन बीच में छोड़कर कनाडा से अमेरिका लौटे राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री से फोन पर 35 मिनट बात की और किस अंदाज में पीएम मोदी ने उन्हें बताया कि भारत अब अपनी शर्तों पर अपनी नीतियां तय करता है और यह बात उसके कूटनीतिक रिश्तों में भी लागू होती है। विदेश सचिव ने जो कुछ बताया है, उससे जियोपॉलिटिक्स में भारत की बदली स्थिति को लेकर 5 बड़ी बातें सामने आ रही हैं।
1.राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आग्रह पर बात
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने में उन्होंने बीच-बचाव किया। लेकिन, भारत ने शुरू से उनके इस दावे को खारिज किया था। इसके बाद ट्रंप और पीएम मोदी के बीच जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान ही पहली बातचीत की योजना थी। लेकिन, ट्रंप अचानक G-7 समिट छोड़कर बीच में ही वॉशिंगटन लौट गए। इस वजह से दोनों नेताओं की कनाडा में मुलाकात नहीं हो पाई। लेकिन अमेरिका लौटते ही ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात करने का आग्रह किया और दोनों नेताओं की बातचीत मुमकिन हो सकी। मतलब, यही है कि ट्रंप को भी एहसास हो चुका है कि उनके गलत दावे से भारत में उनकी छवि खराब हुई है। इसलिए, उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते में पैदा हो रही दूरी को फौरन पाटने की पहल शुरू की है।
2. मध्यस्थता के दावों पर भारत की दो टूक
फोन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को दो टूक बता दिया कि ‘भारत ने न तो कभी मध्यस्थता स्वीकार की थी, न करता है और न ही कभी करेगा।’ पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को साफ-साफ बता दिया कि इन घटनाओं के दौरान भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कोई बात नहीं हुई। अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की भी कोई बात नहीं की। सैन्य कार्रवाई रोकने के बारे में जो भी बात हुई, वो भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी हुई। दोनों देशों की सेनाओं के बीच पहले से ही बातचीत के रास्ते बने हुए हैं। पाकिस्तान ने ही इस बातचीत की पहल की थी। मोदी ने ट्रंप को यह सब बातें स्पष्ट रूप से बताईं, ताकि किसी को कोई गलतफहमी न रहे।