नई दिल्ली: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की भूटान की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा देखने में सामान्य लग सकती है। लेकिन इसके पीछे के भू-राजनीतिक कारण बहुत ही दूरदर्शी हैं। यह यात्रा दोनों देशों के रक्षा संबंधों को मजबूत करने को लेकर बहुत ही अहम है। इसका समय और जगह दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमित करने की भारत की रणनीति जाहिर करते हैं। खासकर हिमालय क्षेत्र में यह बहुत ही अहम है। जनरल द्विवेदी की यात्रा में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और रॉयल भूटान आर्मी के चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बाटू शेरिंग के साथ उच्च-स्तरीय बातचीत भी शामिल है। वह भारतीय दूतावास, प्रोजेक्ट दंतक ( Project DANTAK ) और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम (IMTRAT) के अधिकारियों से भी मिलेंगे।
भारत-चीन संबंधों के बीच भूटान एक अहम कड़ी
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवदी की यह यात्रा सामान्य लग सकती है, लेकिन इसमें सैन्य कूटनीति के कई मायने छिपे हो सकते हैं। भूटान भौगोलिक और राजनयिक रूप से हिमालय में भारत का सबसे करीबी सहयोगी है। यह यात्रा भारत की पुरानी नीति को दिखाती है। भारत अपनी हिमालयी सीमाओं की रक्षा करना और अपने पड़ोसियों के साथ अटूट विश्वास कायम रखना चाहता है। भूटान दक्षिण एशिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह भारत और चीन के बीच स्थित है। यह कुख्यात डोकलाम पठार और चुम्बी घाटी से सटा है। 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक 73 दिनों तक आमने-सामने थे। यह चीन की ओर से भूटान के क्षेत्र के पास सड़क निर्माण के कारण हुआ था।
भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए भी भूटान अहम
भारत हमेशा से भूटान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मानता है और उसका उतना ही सम्मान करता है। भूटान का अपनी सीमाओं पर नियंत्रण कम होना, खासकर पश्चिम में, चीन को भारत के कुख्यात ‘चिकन नेक’ सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास पांव जमाने का एक खतरनाक ठिकाना दे सकता है। यह कॉरिडोर पूरे भारत को पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से जमीन के माध्यम से जोड़ता है। हाल के दिनों में बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की सरकार इसी इलाके में भारत को परेशान करने की नीयत से ड्रैगन के साथ खतरनाक साजिशें रचने में जुटी हुई नजर आई है।
भूटान को प्रभावित करने में अबतक चीन रहा है नाकाम
जनरल द्विवेदी की यह भूटान यात्रा एक संदेश है। भारत अपने हितों की रक्षा कर रहा है। चीन ने सीमा वार्ता, आर्थिक प्रोत्साहन और चीनी मानचित्रों पर भूटान के क्षेत्रों का नाम बदलकर (cartographic aggression ) भूटान को प्रभावित करने की कोशिश कर चुका है। हालांकि, उसे इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत प्रोजेक्ट दंतक और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम (IMTRAT) जैसी पहलों के माध्यम से भूटान में दशकों से मजबूती के साथ मुस्तैद है।