गोबर के कंडों की आंच पर सूखा रहे मूर्तिकार माता रानी की प्रतिमा

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आगामी एक सप्ताह के भीतर नवदुर्गात्सव पर्व समारोह पूर्वक पूरे देश में मनाया जायेगा। इसी श्रृंखला में वारासिवनी नगर सहित क्षेत्र में इस पर्व की धूम रहेगी। जिसकों लेकर मूर्तिकारों ने देवी दुर्गा की प्रतिमाओं के निर्माण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि मूर्ति निर्माण में बारिश आफत डाल रही है जिसको लेकर मूर्तिकार कंडों की सहायता से मूर्ति को सूखाकर अपना कार्य कर रहे है। जिससे जो मुनाफा मूर्तिकारों को होना चाहिये था वो मुनाफा उन्हे नही हो पा रहा है। जिससे वे काफी चिंता में है। मूर्तिकारों का साफ तौर पर कहना है कि एक तो महंगाई ऊपर से मौसम की मार जिससे उनकी कमर टूट गई है।

अतिरिक्त आर्थिक भार से परेशान मूर्तिकार

यहां यह बताना लाजमी है कि वारासिवनी के मूर्तिकार गोबर के कंड़ो से माता रानी की मूर्तियों को सूखाने का कार्य कर रहे है। जिसके लिये उन्हे कंडे लेने ग्राम तक जाना पड़ रहा है जहां उन्हे कंडों के दाम पर काफी इजाफा दिख रहा है। मूर्तिकारों का कहना है कि पहले कंडे काफी सस्ते थे अब इनमें भी महंगाई की मार पड़ गई है। लेकिन हमारी मजबूरी है क्योंकि नवदुर्गात्सव पर्व को गिने चुने दिन बचे है ऐसे में हमने जिनसे मूर्ति बनाने का आर्डर लिया है उन्हे अगर समय पर तैयार नही किया गया तो हमारी साख पर बट्टा लगेगा।

मौसम डाल रहा मूर्ति निर्माण में खलल – सीताराम

इस संबंध में पद्मेश को जानकारी देते हुये सीताराम प्रजापति ने बताया कि मूर्ति निर्माण में मौसम ने काफी खलल डाला है। हमारे द्वारा बनाई जा रही मूर्तियां अभी तक सूखी नही है। जिन्हे गोबर के कंडे से सूखाने का प्रयास चल रहा है। इस कार्य में हमें अत्याधिक लागत लग रही है। पहले जब हमने माता रानी की प्रतिमा को बनाने का आर्डर लिया था तब मौसम सूखा हुआ था। लेकिन वर्तमान समय में हो रही बारिश की वजह से मूर्तियां सूख नही पा रही है जिसकी वजह से अगर हम समय पर डिलेवरी नही देंगे तो निश्चित ही हमें आगामी वर्षों में मूर्ति निर्माण के आर्डर नही मिलेंगे।

मौसम की मार के चलते ४ मूर्तियां ही बनाई है – अशोक ढ़ेकने

इसी तरह मूर्तिकार अशोक ढ़ेकने ने पद्मेश को जानकारी देते हुये बताया कि प्रतिवर्ष उसके द्वारा ७-८ माता रानी की मूर्तियों का निर्माण किया जाता था। लेकिन इस वर्ष उसके द्वारा सिर्फ ४ मूर्तियों का निर्माण किया गया है। कुछ मूर्ति के आर्डर मौसम की वजह से उन्होने केंसल किये है। हमारे समाज के करीब १०-११ लोग मूर्तियों का निर्माण करते है। इस कार्य में पूरा परिवार सहयोग करता है। हमारी आय का यही जरिया है लेकिन इस बार मौसम की मार ने हमें काफी हलाकान किया है। हमें ग्राम से महंगे दाम से कंडे लाकर मूर्तियों को सूखाना पड़ा रहा है ताकि समय पर जिन से हमने आर्डर लिये है उन्हे माता रानी की प्रतिमा को सौंपा जा सके। वर्तमान में हमारे द्वारा रंग रोगन का कार्य माता रानी की प्रतिमाओं पर करना है लेकिन मूर्तिया सूखी ही नही है ऐसे में हम क्या करे। अगर हम गिली मूर्तियों पर पेंट लगाने की कोशिश भी करेंगे तो उन्हे हमे दूबारा पेंट करना पड़ेगा।

दुविधा में मूर्तिकार

गौर करने वाली बात है कि वर्तमान में बारिश का मौसम चल रहा है हालांकि यह मौसम काफी लंबे समय से प्रारंभ है। ऐसे में मूर्तिकारों की आजिविका का साधन मूर्ति निर्माण से ही होता है। लेकिन मूर्तिया सूख नही पाने की वजह से वे काफी दुविधा में नजर आ रहे है।

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