भारत को ‘ब्रेक द चेन’ के लिए ‘शट डाउन’ करना होगा; कोरोना हिट-एंड-रन रणनीति से कर रहा वार: डॉ फौसी

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नई दिल्ली:  बाइडेन प्रशासन के मुख्य चिकित्सा सलाहकार और अमेरिका के शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ एंथनी एस फौसी (Dr Anthony S Fauci) ने कहा है कि भारत को कोरोनोवायरस की चेन  को तोड़ने (Break the Chain) के लिए कुछ हफ्तों के लिए बंद करने की आवश्यकता है। यह कहते हुए कि कोरोनोवायरस हिट-एंड-रन रणनीति का उपयोग कर रहा है, फ़ाउसी ने कहा कि टीकाकृत आबादी में तीसरी लहर से बचा जा सकता है।

टाइम्स नाउ के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर के साथ एक एक ‘एक्सक्लूसिव इंटरव्यू’ में फौसी ने Covid-19 को एक दुर्जेय निमेसिस (Formidable Nemesis) घोषित किया और घातक संक्रमण को एक बहु-प्रणाली बीमारी (Deadly Infection) करार दिया, जो मानव शरीर के सभी हिस्सों को प्रभावित करता है।

‘आप लोगों को टीका लगाने में कितना सक्षम हैं’

फौसी ने आगे कहा कि भारत बायोटेक के कोवाक्सिन भारत में पाए जाने वाले COVID-19 वेरिएंट (117 और 617) को काफी अच्छी तरह से संभालते हुए दिखाई देते हैं। उन्नत COVID-19 बीमारी का एक प्रमुख घटक तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (acute respiratory distress syndrome) था जो अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) के निदेशक ने कहा।

भारत में तीसरी लहर पर फाउसी ने कहा, “कोविड -19 की तीसरी लहर से बचा जा सकता है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप लोगों को टीका लगाने में कितना सक्षम हैं।” हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को जरूरी नहीं कि COVID-19 की तीसरी लहर हो, अगर सरकार इसे नियंत्रण में रख सकती है।

‘UK variant आमतौर पर अधिकांश टीकों के प्रति संवेदनशील है’

उन्होंने कहा- “मुझे नहीं लगता कि आप तीसरी लहर की भविष्यवाणी कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप वर्तमान लहर को कैसे संभालते हैं और समाज को अच्छी और पुख्ता सुरक्षा कैसे दे पाते हैं,”  डेक्सामेथासोन एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड अपने anti-inflammatory और इम्यूनोसप्रेसेन्ट प्रभावों (immunosuppressant effect) के लिए कई स्थितियों में उपयोग किया जाता है, फौसी ने कहा कि यह मृत्यु दर को कम करने में काफी सक्षम है।

भारत के टीकाकरण रोलआउट कार्यक्रम पर डॉ फौसी ने कहा कि देश को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। डॉ फौसी ने यह भी कहा कि कोरोनोवायरस का यूके स्ट्रेन (B.1.1.7) जो उत्तर भारत के हिस्सों में प्रमुख है, आमतौर पर अधिकांश टीकों के प्रति संवेदनशील है।

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