सीबीआइ ने एम्स भोपाल के डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह को रिश्वत लेते हुए पकड़ा

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने एम्स भोपाल के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) धीरेंद्र प्रताप सिंह को शनिवार को एक लाख रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। धीरेंद्र ने 40 लाख रुपये का बिल पास करने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के संचालक से दो लाख रुपये रिश्वत मांगी थी। रिश्वत की पहली किस्त लेने के दौरान सीबीआइ ने यह कार्रवाई की। जानकारी के अनुसार, सीबीआइ ने धीरेंद्र के बावड़िया कला स्थित घर और एम्स स्थित कार्यालय पर भी जांच की। सूत्रों का कहना है कि देर शाम तक चली कार्रवाई के दौरान धीरेंद्र के ठिकाने से करीब सात लाख रुपये नकद और म्यूचुअल फंड में लगभग 80 लाख रुपये के निवेश और दो फ्लैट होने की जानकारी मिली है।

जांच एजेंसी के अधिकारियों को आय से अधिक संपत्ति का मामला पकड़ में आने के साक्ष्य मिले हैं। धीरेंद्र ने रिश्वत की राशि लेने के लिए औषधि केंद्र के संचालक को शाहपुरा थाना क्षेत्र में बुलाया था। सीबीआइ ने इस दौरान धीरेंद्र को रंगे हाथ पकड़ लिया। धीरेंद्र के कार्यालय में रखे दस्तावेजों की भी जांच की गई। इनमें अधिकतर दस्तावेज बिलों के भुगतान से संबंधित हैं। धीरेंद्र की मूल पदस्थापना इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलाजी ग्वालियर में थी। आइआइएफएम में भी रहा था। वह प्रतिनियुक्ति पर एम्स में पदस्थ हं।

छह माह से लंबित था भुगतान

धीरेंद्र द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र एम्स के संचालक रामचंद्र मारव्या ने 24 सितंबर को सीबीआइ से की थी। रामचंद्र ने बताया था कि उन्होंने एम्स द्वारा जारी 17 खरीद आदेश के अनुसार, एम्स को ग्लव्स, दवाइयां आदि की आपूर्ति जनवरी 2021 में की थी। इस सामान के भुगतान के लिए 40 लाख रुपये के बिल प्रस्तुत किए गए। बीते छह माह से बिल का भुगतान लंबित था। इस पर धीरेंद्र ने न तो किसी प्रकार की आपत्ति ली और न ही भुगतान किया। कई बार सूचना देने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। 21 सितंबर को रामचंद्र ने धीरेंद्र से भुगतान के संबंध में मुलाकात की तो धीरेंद्र ने 40 लाख रुपये के बिल भुगतान के बदले पांच फीसद के हिसाब से दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।

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