रात में भी ऑक्सीजन देता है बरगद, आसपास राेपें

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आक्सीजन की कीमत कोरोना की दूसरी लहर में सामने आई। हर तरफ शहर में जरूरतमंद आक्सीजन सिलिंडर के लिए भटकते हुए नजर आए। कोरोना की वजह कुछ भी रही हो, मगर कहीं न कहीं यह वायरस पर्यावरण से भी जुड़ा हुआ है। तो क्यों न कुछ ऐसा करें कि कभी आक्सीजन के लिए हाथ ही न फैलाने पड़ें। विषय विशेषज्ञों ने इसका उपाय बरगद का पेड़ बताया है। वे कहते हैं बरगद के पौधों को रोपने से प्रकृति गदगद रहेगी। इससे हमें पांच गुना अधिक आक्सीजन मिलती है। खास बात यह है ये पेड़ रात को भी हमें आक्सीजन देता है। इसके अलावा दस जून को सावित्री व्रत भी आ रहा है। इस दिन महिलाएं पति व संतान की दीर्घायु के लिए बरगद के पेड़ का पूजन करती हैं। इस पूजन से हमें पौधारोपण को भी जोड़ देना चाहिए। सोचिए, शहर का हर व्यक्ति या परिवार बरगद का पौधा रोपेगा तो हमें कितना फायदा मिलेगा। सामान्य से लेकर कोरोना वायरस के दौर में भी आक्सीजन सिलिंडर पाने के लिए यहां-वहां नहीं दौड़ना पड़ेगा। इससे खुद के साथ-साथ हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी मुश्किल से बचा सकते हैं।

वर्जन-

आक्सीजन की परेशानी जिस तरह हमने बीते दिनों देखी, उसे देखकर अहसास हुआ कि वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण कितना जरूरी है। 10 जून को मैं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखूंगी। व्रत पूजन करने से पहल मैं बरगद पौधा रोपूंगी। फिलहाल मैंने बरगद का पौधा मंगाकर गमले में लगा लिया है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमें अगली पीढ़ी को भी जागरूक करना चाहिए।

गिरजा गर्ग, सिकंदर कंपू

वर्जन-

वट सावित्री व्रत के दौरान पूजन के लिए बरगद का पेड़ ढूंढ पाना भी महिलाओं के लिए मुश्किल होता है। शहर में बहुत कम वटवृक्ष हैं, ऐसे में नए पौधे रोपना बहुत जरूरी है। वातावरण को शुद्घ करने व मौसम को संतुलित रखने में बरगद उपयोगी होते हैं। मैं 10 जून को जरूर बरगद का पौधा रोपूंगी, अन्य महिलाओं को भी जागरुक करूंगी।

वर्जन-

अभी मैंने बरगद का पौधा घर के गमले में ही लगाया है। 10 जून को वट सावित्री व्रत के दौरान इस पौधे को मैं किसी अच्छी जगह लगाऊंगी। आम, नीम, पीपल आदि पौधे भी हमने घर में ही तैयार किए हैं, जिन्हें हम बारिश शुरू होते ही किसी स्कूल, गार्डन या अन्य स्थानों पर लगाएंगे। बरगद सबसे अधिक आक्सीजन देता है। जिस प्राकृतिक गैस की हम कद्र नहीं करते थे, उसे लेकर कोरोना ने हमें चेता दिया है। हमारी सनातन संस्कृति में बरगद को पूजा जाता है। अगर हम गौर से सोचें तो वैज्ञानिक कारण नजर आएगा।

एक पेड़, गुण अनेक, जानिएः

-बरगद से सबसे अधिक आक्सीजन मिलती है। रात में भी आक्सीजन देता है।

-बरगद सबसे अधिक छाया व शीतलता प्रदान करता है।

-बरगद को अगर अधिक अच्छी जगह मिल जाए, तो वह 500 साल तक जिंदा रहता है।

-बरगद का फल (गूलर) पक्षियों को सर्वाधिका प्रिय है। इस फल को खाकर पक्षी विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचते हैं। ये पक्षी जहां भी जाकर अपना मल गिराते (बीट) करते हैं, वहां भी बरगद का पौधा तैयार हो जाता है।

-जहां बरगद का वृक्ष लगा होता है, वहां यदि दो-तीन साल एक बूंद भी पानी न पड़े तो भी वह यथावत रहता है।

-बरगद की जड़ें जहां तक जाती हैं, वहां तक पानी का भंडारण करती हैं। भूमिगत जल को बढ़ाने में बरगद खासा सहयोगी होता है। इस महत्व को भी समझें।

-बरगद को वट वृक्ष कहा जाता है, इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। महिलाएं वट वृक्ष की पूजा पति, संतान व अन्य स्वजनों की लंबी आयु के लिए करती हैं।

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