समर्थन मूल्य से दूर 22 हजार किसान

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रवि की फसल में धान का उचित मूल्य देने के लिए शासन द्वारा समर्थन मूल्य लागू किया गया है लेकिन शासन की एसएमएस नीति जिले के 22 हजार 5 सौ 74 किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई बावजूद इसके प्रशासन बीते वर्ष की तुलना में अधिक धान खरीदी कर स्वयं की पीठ थपथपाते दिखाई दे रहा है।

इस विषय पर जब हमने केंद्रीय सहकारी मर्यादित बैंक के महाप्रबंधक से चर्चा की तो उन्होंने शासन द्वारा धान खरीदी किए जाने की विस्तृत विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जिले के भीतर इस वर्ष 1 लाख 18 हजार 4 सौ 4 किसानों का समर्थन मूल्य पर धान खरीदी करने के लिए पंजीयन किया गया था।

जिसमें से 95 हजार 8 सौ 30 किसानों का ही धान खरीदा जा सका। इस तरह आंकड़ों के अनुसार जिले के भीतर 22 हजार 5 सौ 74 किसानों का धान नहीं समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जा सका।

बावजूद इसके अधिकारी बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक धान खरीदी किए जाने को लेकर बहुत अधिक गदगद दिखाई दे रहे हैं और स्वयं की पीठ थपथपाते थक नहीं रहे।

इस विषय पर जिला कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता विशाल बिसेन ने शासन पर आरोप लगाते बताया कि धान खरीदी किए जाने से पूर्व एसएमएस भेजे जाने की व्यवस्था लागू की गई थी। जिस किसान को एक बार मैसेज आ गया। उसे 15 दिन के भीतर अपनी धान सोसाइटी में विक्रय के लिए भेजना था।

लेकिन इस वर्ष पूर्ण संक्रमण काल के कारण जिले के ग्रमीण क्षेत्रो में नवंबर और दिसंबर माह में लगनसरा के साथ ही मौसम की बेरुखी के कारण जिले के किसान समय पर मिसाई कार्य नहीं कर सके। नतीजा 22 हजार किसानों कि धान समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदी हो सकी।

पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में वर्तमान समय तक किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी चल रही है। वहीं मध्यप्रदेश शासन द्वारा 14 जनवरी को ही धान खरीदी बंद कर दी गई। बीते वर्ष यही धान खरीदी 26 जनवरी के बाद तक चलती रही थी। जिससे इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि शासन लक्ष्य पूर्ति करते दिखाई दी ना कि किसानों की संख्या पर ध्यान दिया गया।

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