हर चुनाव में मुख्य मुद्दा रहने वाले किसान प्रदेश की राजनीति के फेलसबेक पर चले गए हैं नतीजा 1 साल पहले जिन किसानों की बार में फसल खराब हुई थी उन्हें समय बीतने के बाद भी मुआवजा नहीं मिला।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भले ही अपने आप को किसान पुत्र बता कर किसानों के हितों का संरक्षण करने और किसानों की आय को दोगुना कर उनकी हर संभव मदद किए जाने का दावा करते हो। लेकिन उनके इस दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
जहां जिले के ज्यादातर किसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कथनी और करनी में भारी अंतर बता रहे हैं। वहीं बाढ़ पीड़ित किसानों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी देखी जा रही है।
आपको बताए कि वर्ष 2019 और 2020 में दोनों वर्ष लगातार जिले में हुई अतिवृष्टि और भीमगढ़ बांध के गेट खोलने के चलते वैनगंगा नदी में बाढ़ आई थी जिसमें नदी किनारे बसे गांव और खेत खलियान बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए थे इन दोनों ही वर्ष आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी जहां वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार थी जिन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराकर किसानों के खाते में एकमुश्त मुआवजे की राशि का भुगतान कर दिया था। तो वहीं वर्ष 2020 में शिवराज सिंह चौहान की सरकार के समय आई बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुई फसलों का पूर्ण मुआवजा 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी किसानों को नहीं मिल पाया है।
बात अगर वर्ष 2020 की करे तो ग्राम छोटी कुम्हारी में आई बाढ़ में गांव के लगभग 273 किसानों की फसल बाढ़ से बर्बाद हुई थी जिसका दो से तीन बार सर्वे कराने के बाद भी आज तक कई किसानों को मुआवजे के नाम पर फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है।