बीएड, डीएड की योग्यता के बाद भी पास करना होगा पात्रता परीक्षा

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कोरोना संक्रमण काल के दौरान मृतक कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा ना जाने कितनी योजनाएं और वादे किए जा रहे हैं, लेकिन यदि अनुकंपा नियुक्ति के नियमों पर ध्यान दिया जाए शासन की मंशा अनुसार मृतक कर्मचारी के पुत्र पुत्री या पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति के माध्यम से नौकरी करना चाहता है उन्हें केवल 12वीं पास होना जरूरी है तो वहीं दूसरी और मृतक शिक्षको के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे।

यह सब कुछ हम उस समय बता रहे हैं जब मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के साथ बालाघाट जिले में भी सरकारी कर्मचारियों की मौत की सूची में सबसे बड़ा आंकड़ा शिक्षकों का है।

बालाघाट जिले की भीतर कार्यरत शिक्षा विभाग और आदिवासी कल्याण विभाग से संचालित शासकीय स्कूलों में कार्यरत एक सैकड़ा शिक्षकों की कोविड सक्रमण काल के दौरान मौत हुई है। हालांकि इस मौत के आंकड़े में लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, नगर पालिका, वन विभाग सी कर्मचारियों की भी संख्या अच्छी खासी है। लेकिन बड़ी विडम्बना यह है कि शिक्षा विभाग छोड़कर अन्य विभाग के लिए अनुकंपा की प्रक्रिया बहुत अधिक सरल है।

पुरानी पेंशन बहाली संघ के संरक्षक भी स्पष्ट रूप से कहते है कि शासन द्वारा शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया बेहद जटिल रखी गई है। पहले बीएड, डीएड की योग्यता उसके बाद पात्रता परीक्षा पास करने की बाध्यता। इस पूरे अवधि में लगभग 4 से 5 वर्ष या उससे भी अधिक वक्त का समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में मृतक शिक्षकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए इतना लंबा इंतजार बेहद कठिन होगा?

पुरानी पेंशन बहाली संघ के संरक्षक अपने मृतक साथियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति जल्द से जल्द दिलवाने के साथ ही मृतक के आश्रित को पुरानी पेंशन की तरह वेतन का आधा पैसा दिलवाने की मांग को लेकर सभी शिक्षक संघ को एकजुट कर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान तक यह बात पहुंचाने की योजना बना रहे है।

वही इस विषय पर आजाद अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष भी बड़ी बेबाकी से अपने मृतक साथियों के पक्ष में बात रखते हुए कहते हैं मध्यप्रदेश शासन द्वारा आठ से 10 वर्षों के दौरान पात्रता परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाता है। ऐसे में मृतक शिक्षक साथियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिल पाना बेहद कठिन दिखाई दे रहा है।

आजाद अध्यापक संघ की जिलाध्यक्ष के अनुसार पूरे प्रदेश में 1500 शिक्षकों की मौत कोरोना काल के दौरान हुई है। इतने ही लोगों को अनुकंपा नियुक्ति दिया जाना है। यही नहीं मध्यप्रदेश शासन द्वारा जो कोरोना काल के दौरान मृतकों के परिजनों को 5 लाख दिए जाने की बात की गई है इस मामले में भी दर्जनों पेच दिखाई दे रहे हैं।

यही नही जिले के भीतर ही पूर्व से ही 1 सैकड़ा से अधिक शिक्षकों के परिजनों की अनुकंपा नियुक्ति नियम के बंधनों की वजह से लटकी हुई है। ऐसे में कोरोना संक्रमण काल के दौरान मृतकों की संख्या और अधिक हो गई है। इसलिए अब शासन को अनुकंपा नियुक्ति के लिए नियम बदलने के लिए जिससे शिक्षकों के परिजन को राहत मिल सके।

निश्चित कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप ने हर किसी ने कुछ ना कुछ खोया है। इस दुख की घड़ी में मध्यप्रदेश शासन लाख दावे कर रही है कि हम मृतक परिवार के साथ खड़े हैं लेकिन यह दावे और वादे शासन को पूरे करने के लिए अपने ही नियमों में कुछ से शिथिलता लानी होगी। जिससे मृतकों के परिजन और उनके परिवार बिखरने से बचाए जा सके।

सिक्के के दूसरे पहलू को देखा जाए तो मध्यप्रदेश के भीतर हजारों शिक्षकों के पद खाली है। शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए शासन द्वारा हर साल अतिथि शिक्षकों को रखा जाता है। ऐसे में अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में शिथिलता कई परिवारों के लिए संजीवनी का काम कर सकती है।

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