एक ओर केंद्र व राज्य सरकार अपने आप को किसान हितैषी सरकार बता कर किसानों की आय को दोगुना करने का ढिढोरा पीट रही है तो वहीं दूसरी ओर कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर देश में आंदोलन चल रहा है तो वही प्रदेशभर की धान मंडी बंद होने से किसान परेशान हैं जिसका बिचौलिए जमकर फायदा उठा रहे हैं।
मंडिया बंद होने से किसानों की उपज ओने पौने दाम में खरीद रहे हैं मंडिया बंद होने से किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है वही बिचौलिए किसानों की मजबूरी का फायदा उठा कर चांदी काट रहे हैं जिसके चलते ज्यादातर किसान अपनी फसल नहीं बेच रहे हैं जो फसल को अपने घरों में डंप करने को मजबूर हैं।
इसे किसानों की बदनसीबी कहे या कृषि कानून लाने का अड़ियल रवैया की सरकार ने अब तक धान मंडी को खोलने के आदेश जारी नहीं किए हैं जहां मंडियां बंद होने से किसान अपनी उपज बेचने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
किसान शोभाराम लिल्हारे और बाल चन्द्र लिल्हारे मंडी बंद होने से फसल का वाजिब दाम नहीं मिलने की परेशानी बताते है।
किसान कांग्रेस जिला महामंत्री चंद्रशेखर नगपुरे ने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर रबी की फसल समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने की मांग की है वहीं उन्होंने 1500 से1700 प्रति क्विंटल में के हिसाब से किसानों की धान खरीदने और जल्द से जल्द मंडी शुरू करने की मांग की है।
दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान मंडी सचिव मनीष मडावी ने बताया कि कोविड-19 के चलते मंडी पिछले 2 महीनो से बंद है जिसे खोलने के आदेश शासन से प्राप्त नहीं हुए हैं उन्होंने बताया कि किसान सौदा पत्रक के माध्यम से अपनी फसल व्यापारी को बेच सकता है यदि कोई किसान सौदा पत्रक के माध्यम से अपनी फसल व्यापारी को बेचता है तो उसे 1400 से 1500 रु प्रति क्विंटल के हिसाब से फसल का दाम मिल सकता है। यदि किसान सौदा पत्रक के हिसाब से फसल नहीं बेचता या बिना किसी अनुबंध के किसी को भी अपनी फसल बेच देता है तो उसकी गारंटी सरकार या मंडी नही लेगी।