वोट के बदले नोट केस: ‘सांसदों-विधायकों को घूसखोरी की छूट नहीं’, पीएम मोदी ने किया SC के फैसले का स्वागत

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सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने वोट के बदले नोट मामले में बड़ा फैसला दिया है। पीठ ने अपना पुराना फैसला बदलते हुए कहा, विशेषाधिकार का मतलब यह नहीं है कि सांसदों या विधायकों को घूसखोर का अधिकार मिल जाता है। कोर्ट ने अनुच्छेद 105 का हलावा देते हुए बताया कि संसद हो या विधानसभा, सदस्य क्या कर सकते हैं और क्या नहीं।

वोट के बदले नोट: जानिए क्या है पूरा मामला

सांसदों और विधायकों द्वारा सदन में वोट देने और मतदान करने के बदले रिश्वत लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 5 अक्टूबर 2023 को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दलीलों के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि रिश्वतखोरी कभी छूट का विषय नहीं हो सकती है। संसदीय विशेषाधिकार का मतलब किसी सांसद या विधायक को कानून से ऊपर रखना नहीं है।

अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल और इस मामले में अदालत की सहायता कर रहे न्याय मित्र पीएस पटवालिया सहित कई वकीलों द्वारा की गई दो दिन की बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था।

सात न्यायाधीशों की पीठ झामुमो रिश्वत मामले में 1998 में शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले पर पुनर्विचार कर रही थी। उस फैसले में सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट देने के लिए रिश्वत लेने पर अभियोजन से छूट दी गई थी।

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