Bhopal News: विमुक्त जातियों पर सतत शोध की जरूरत : डॉ. रुचि घोष

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भोपाल । मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी और हमीदिया कॉलेज की ओर से आयोजित मप्र की विमुक्त जातियों पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. रुचि घोष ने की। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शोध बहुत ही शांतिपूर्ण और चुनौती वाला कार्य है। यहां जिन लोगों ने शोधपत्र प्रस्तुत किया, वे प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि उनके द्वारा किया गया श्रम प्रेरणा का स्रोत है। इस संगोष्ठी के माध्यम से कुछ प्रश्नों के उत्तर मिले हैं और कुछ के उत्तर बाकी है, अत: आगे भी इस क्षेत्र में काफी कार्य संभव है। विमुक्त जातियों पर सतत शोध की जरूरत है। इस सत्र में प्रदीप जिलवाने, डॉ. रक्षा गीता, डॉ.लक्ष्मी चंदेला, सुश्री मेघा सोनी, रवि बुंदेला ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

देश में ऐसी संगोष्ठियां होनी चाहिए : भीकू रामजी इदाते

समाहार सत्र में उद्बोधन देते हुए राष्ट्रीय विमुक्त, घूमंतु तथा अर्द्ध घुमंतू जनजाति आयोग के अध्यक्ष भीकू रामजी इदाते ने कहा कि तीन दिन से इस ज्ञान यज्ञ में सम्मिलित हूं और यहां एक साथ सभी बातें सुनने को मिली। देश में ऐसी संगोष्ठियां होनी चाहिए, इसका पहला उदाहरण मप्र ने दिया है। मुझे लगता है कि कुछ विषयों के मूल में जाना चाहिए। इन लोगों का मनोविज्ञान बदलना एक बड़ी चुनौती है अत: इस पर गहराई से कार्य होना चाहिए। पहाड़ी लाल सिंह माना ने कहा कि विमुक्त जातियों की अपनी विशिष्‍ट भाषा और संस्कृति है, जिनको लिपिबद्ध किया जाना चाहिए वरना आगे आने वाले समय में ये विलुप्त हो जाएंगी। हम इन पर कार्य कर रहे हैं और सरकार को भी इस दिशा में कार्य करना चाहिए। सत्र के अंत में आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मेंद्र पारे ने धन्यवाद ज्ञापित किया और डॉ. अल्पना त्रिवेदी ने आभार प्रकट किया।

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