थानेगॉव सिकन्द्रा के किसान अपनी बर्बाद हुई फसल का मुआवजा शासन प्रशासन से मांग रहे है। किसानों का साफ तौर पर कहना है कि जनवरी फरवरी से मौसम के रूख में आये बदलाव की वजह से उनकी गेहूॅ, चना व धान, सरसो की फसल पर गहरा प्रभाव पड़ा है। कभी बारिश की वजह से तो कभी ओलावृष्टि के कारण ऐसे में प्रशासन ने किसी प्रकार का कोई सर्वे फसल नुकसानी को लेकर नही कराया। जिससे जो लागत उन्होने फसल उगाने में लगाई थी वो भी नही निकल पायी है। ऐसे में शासन प्रशासन को वर्तमान फसल का तो सर्वे करना चाहिये। हॉल ही में हुई बारिश से रबी की फसल पर भी नुकसान पहुॅचा है और धान बॉलीया काली पड़ गई है।
फसल थी कटने की कगार पर मगर बारिश ने डाला व्यवधान – रामबती
पद्मेश को जानकारी देते हुये महिला कृषक रामबती मरठे ने बताया कि हमने रबी की फसल के तहत धान लगाई थी। मगर हॉल ही में आये पानी की वजह से यह फसल पूरी तरह से चौपट सी नजर आ रही है। धान की फसल जो काटने लायक स्थिति में थी उसे बारिश की वजह से हम काट नही पाये। जिसकी वजह से यह फसल की बालिया काली पड़ गई है। वही आंधी तूफान के कारण फसल खेत में ही लेट गई है। जिससे हमारा काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में हम चाहते है कि हमारी फसल का सर्वे कर शासन प्रशासन हमे आर्थिक मदद करे।
धान व गेहूॅ की फसल हुई बर्बाद दिया जाये मुआवजा – भूरेलाल
वही सिकन्द्रा के कृषक भूरेलाल नागेश्वर ने पद्मेश को बताया कि मैने गेहूॅ की फसल के साथ ही रबी फसल के तहत धान अपने खेत में लगाई है। मगर यह दोनो ही फसल बेमौसम हुई बारिश की भेट चढ़ चुकी है। फसल लगाने के दौरान बीज, यूरिया, सोड़ा पर भी काफी पैसा खर्च किया है। मगर बारिश ने हमारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। ऐसे में शासन प्रशासन को हम किसानों के बारे में सोचना चाहिये। जब हम फसल लगाते है तो न तो हमे कृषि विभाग के ग्राम सेवक से कोई सुझाव मिलता है और ना ही इनके वरिष्ठ अधिकारियो का मार्गदर्शन ऐसे में अब लगने लगा है कि खेती कार्य करना घाटे का सौदा है। हम चाहते है कि हमारी बर्बाद हुई फसलों का शासन प्रशासन निरिक्षण करवाकर जो नुकसानी हुई है इसकी भरपाई करे।
यहां यह बताना लाजमी है कि शासन की और से बेमौसम बारिस से जो नुकसान फसल को पहुॅचा है। उसके सर्वे के आदेश फिलहाल नही आये है। मगर किसान सर्वे कराकरा मुआवजा दिये जाने की मांग लगातार कर रहे है।