पाकिस्तानी असंतुष्ट और महिला अधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच का शव रविवार को कड़ी सुरक्षा में दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान स्थित उनके गांव में दफना दिया गया। प्रदर्शन और असंतोष भड़कने से डरी हुईं सरकारी एजेंसियों ने सिर्फ बलूच के निकटवर्ती स्वजनों को ही अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी। बलूच के समर्थकों ने दावा किया कि अंतिम संस्कार के दौरान ना केवल गांव को सील कर दिया गया बल्कि उन्हें भी इसमें शामिल होने से रोका गया। रविवार सुबह ही उनका शव पाकिस्तान लाया गया था। एयरपोर्ट पहुंचते ही सैनिकों ने उनके शव को कब्जे में ले लिया था और अज्ञात स्थान पर ले गई थी। 37 वर्षीय करीमा बलूच वर्ष 2016 से कनाडा में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही थीं। लापता होने के एक दिन बाद गत वर्ष 22 दिसंबर को उनका शव टोरंटो की एक झील के पास मिला था। टोरंटो पुलिस ने तो उनकी मौत को संदिग्ध नहीं माना है, लेकिन बलूच के समर्थकों ने पाकिस्तानी सेना द्वारा उनकी हत्या किए जाने का आरोप लगाया है। बलूच के अंतिम संस्कार को लेकर सरकार की तरफ से तो कोई टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन इंटरनेट मीडिया पर चल रहे वीडियो फुटेज में कुछ सैनिकों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह बलूच नेता को अंतिम सलाम करना चाहते थे। गुपचुप तरीके से शव के अंतिम संस्कार के खिलाफ बलूच एकजुटता समिति ने सोमवार को बलूचिस्तान में एक दिन की हड़ताल और पूर्ण बंद का आह्वान किया।