Somnath Temple : जानिये सोमनाथ मंदिर की वैभवशाली गाथा, विदेशी आक्रांताओं के निशाने पर रहा फिर भी गौरवमयी

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Somnath Temple : सोमनाथ मंदिर के वैभव व विध्‍वंस का इतिहास

शत्रुघ्‍न शर्मा, प्राचीन भारत का प्रभास पाटण आज गीर सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध है, आदिकाल से भक्ति व शक्ति का केंद्र यह स्‍थल इतिहास की कई गौरवशाली गाथाओं को अपने में समेटे हुए है। राजा भीमदेव द्वारा निर्मित सोमनाथ मंदिर भारत के परम वैभव व विदेश आक्रांताओं के हमलों का साक्षी बनकर खड़ा है। गजनी के महमूद ने 1026 में इस पर हमला कर सोमनाथ मंदिर के हीरे व जवाहरात जडे स्‍वर्ण स्‍तंभ आदि लूट ले गया। इसके बाद भी महमूद गजनी, अलाउद्दीन खिलजी, महमूद बेगडा तथा औरंगजेब के सेनापति ने सोमनाथ मंदिर को लूटा तथा मंदिर का विध्‍वंस करने का प्रयास किया। राजा भीमदेव ने एक बार फिर सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया, उसके बाद 1786 में राजा सिद्धराज ने तो उनके बार राव वघण ने मंदिर का निर्माण कराया। हमीरजी गोहिल व वेगडा भील ने भी मंदिर की रक्षा के लिए बलिदान दिया लेकिन जीते जी मंदिर पर हमलावरों को नहीं आने दिया। प्रभासपाटण शैव संप्रदाय के साथ वैष्‍णव मार्गी भक्‍तों के भी आस्‍था का केंद्र रहा है, भगवान विष्‍णु के अवतार भगवान राम, श्रीक्रष्‍ण, परशुरामजी आदि की तपोस्‍थली के प्राचीन मंदिर भी यहां मौजूद हैं। यहां पार्वती जी मंदिर के अवशेष, द्वादश ज्‍योर्तिलिंग कपार्टि विनायक मंदिर तथा कष्‍टभंजन हनुमान मंदिर, बौद्धधर्म के भी अवशेष हैं।

प्राचीन वैभव का प्रतीक था सोमनाथ

प्राचीन इतिहास में बताया जाता है कि रत्‍नाकर सागर आज के अरब सागर के किनारे पर पहली बार सतयुग में राजा सोमराज ने सोने से सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया, त्रेतायुग में दशानन रावण ने रजत से मंदिर निर्माण कराया तथा उसके बाद द्वापर में भगवान क्रष्‍ण ने चंदन की लकडी से सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया था। अरब सागर किनारे एक भव्‍य व दिव्‍य सोमनाथ मंदिर भारत के गौरवशाली व सम्रद्धशाली वैभव की गाथा का जीता जागता सबूत था। 56 स्‍तंभों पर खडे इस मंदिर के स्‍तंभ स्‍वर्ण, हीरे व रत्‍नों से जडे थे।

आजादी के बाद पुनर्निमाण

भारत के आजाद होने के बाद तत्‍कालीन ग्रहमंत्री लौहपुरुष सरदार पटेल 12 नवंबर 1947 को जूनागढ के भारत में विलय होने की घोषणा करने वहां पहुंचे थे। सरदार साहब ने इसी दौरान जामनगर के जाम साहब दिग्विजयसिंह जी, प्राचीन सौराष्‍ट्र के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री उछंग राय ढेबर, साहित्‍यकार कन्‍हैया लाल मुंशी, समाजसेवक काका साहब गा‍डगिल के साथ मिलकर सोमनाथ मंदिर के स्‍थल पर पहुंचे तथा मंदिर के भग्‍नावशेष के दर्शन किये। सरदार पटेल ने अपनी इसी यात्रा में समुद्र का जल हाथ में लेकर यहां भगवान सोमनाथ का भव्‍य मंदिर निर्मित कराने का संकल्‍प लिया। इससे पहले सन् 1783 में अहल्‍या बाई ने सोमनाथ मंदिर के भूगर्भ में एक मंदिर का निर्माण कराकर शिवपूजा की परंपरा को पुन: शुरु करा दिया था।

सरदार का संकल्‍प

हम सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करेंगे, देश स्‍वतंत्र हो चुका है। करोडों लोगों की आस्‍था इस मंदिर से जुडी हुई है, इन करोडों लोगों के लिए यह श्रद्धा स्‍वरूप मंदिर का पुन: निर्माण भी आजादी की भावना से जुडा हुआ है

सरदार पटेल भारत के तत्‍कालीन ग्रहमंत्री

सोमनाथ, राममंदिर व सोमपरा परिवार

गुजरात के प्रभाशंकर सोमपरा ने ही आधुनिक सोमनाथ मंदिर के निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी। उनके पौत्र चंद्रकांत सोमपरा अब अयोध्‍या के भव्‍य राममंदिर निर्माण करा रहे हैं। सोमपरा परिवार को नागर शैली से मंदिर के निर्माण में महारत है तथा यह परिवार पीढियों से यह काम कर रहा है। सोमपरा परिवार देश में अब तक छोटे बडे करीब डेढ सौ मंदिरों का निर्माण करा चुका है।

ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण

सोमनाथ मंदिर का महराब तथा आर्किटेक्‍ट विश्‍वप्रसिद्ध कैलाश महामैरुप्रसाद मंदिर से लिया गया है। 155 फीट ऊंचे इस मंदिर में एक मंजिला गर्भग्रह है तथा शिखर तक यह 7 मंजिल का है। सभाग्रह व न्रत्‍य मंडप 3-3 मंजिल के बने हैं। तीसरी मंजिल पर एक हजार कलश की आक्रतियां बनी हैं। गर्भग्रह में रखे कलश का वजन 10 टन है। यह मंदिर 72 स्‍तंभ पर खडा है तथा न्रत्‍यमंडप के चारों ओर छोटे छोटे शिखर बनाए गये हैं। सोमनाथ मंदिर की सबसे खास बात यह है कि करीब 800 साल बाद भारत में नागरशैली में बना यह पहला शिवालय है। आजादी के बाद ग्रहमंत्री सरदार पटेल की पहल पर वर्ष 1950 में सोमनाथ मंदिर का शिलान्‍यास किया, 11 मई 1951 में तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डॉ राजेंद्रप्रसाद शर्मा ने मंदिर में प्राण प्रतिष्‍ठा कराई। 11 मई 2001 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्राण प्रतिष्‍ठा महोत्‍सव की शुरुआत की।

सोमनाथ मंदिर को एक बार फिर वैभव प्रदान करने के लिए मंदिर के गर्भग्रहव स्‍तंभों को सोने का पानी चढाया गया है। मंदिर के चारों ओर सुंदर बगीचे, ओपन थियेरटर आदि का निर्माण कराया गया है। सोमनाथ मंदिर परिसर में ही हर शाम यहां के इतिहास की गाथा बताता लेजर शो होता है। इसके अलावा सोमनाथ ट्रस्‍ट 400 कमरों का अतिथिग्रह बनाया गया है। गीर सोमनाथ अपने आसपास समुद्र की लहरों की शांति लिये है तो पर्वत की घनी ऊंचाईयां और सासण गीर जंगल में एशियाई शेरों की दहाड भी यहां सुनी जा सकती है।

मोदी बने सोमनाथ ट्रस्‍ट के अध्‍यक्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोमवार को श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्‍ट का अध्‍यक्ष चुना गया है। मोदी वर्ष 2010 से ट्रस्‍ट के सदस्‍य हैं। पूर्व मुख्‍यमंत्री केशुभाई पटेल का अक्‍टूबर 2020 में निधन हो जाने से यह पद रिक्‍त हो गया था। आठ सदस्‍यीय ट्रस्‍ट में हाल मोदी के अलावा केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह, भाजपा के वरिष्‍ठ नेता LK आडवाणी, वरिष्‍ठ ट्रस्‍टी एवं संस्‍क्रत विद्वान जे डी परमार, गुजरात के पूर्व मुख्‍य सचिव पी के लहरी तथा अंबुजा सीमेंट समूह के हर्षवद्धन निवेटिया शामिल हैं। ट्रस्‍ट के अध्‍यक्ष के रूप में दूसरी बार किसी प्रधानमंत्री ने कमान संभाली है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई करीब 26 साल तक इसके अध्‍यक्ष रहे। LK आडवाणी ने वर्ष 1990 में इसी सोमनाथ मंदिर से अयोध्‍या तक की ऐतिहासिक रथयात्रा निकाली थी।

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