नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच आज यानी सोमवार 4 जनवरी को दिल्ली के विज्ञान भवन में 7वें दौर की बातचीत हुई। लेकिन ये वार्ता बेनतीजा रही और अब अगली तारीख 8 जनवरी दे दी गई है। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून की मांग कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हुए हैं।
वो अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसानों कानूनों को रद्द करने से कम पर किसी भी चीज के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं सरकार चाहती हैं कि किसान कानून के उन बिंदुओं पर चर्चा करें, जिससे उन्हें आपत्ति है। सरकार उन आपत्तियों को दूर करने के लिए कानूनों में संशोधन को तैयार है। लेकिन किसान चाहते हैं कि कानून निरस्त हों, उससे कम पर वो तैयार नहीं हैं।
किसानों की आगे की योजना तैयार
वहीं इस पूरे आंदोलन के दौरान जो सरकार का रुख रहा है, उससे साफ तौर पर कहा जा सकता है कि अभी तक सरकार इस मूड़ में नहीं है कि वो तीनों कानूनों को वापस ले। ऐसे में सवाल है कि सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है, वहीं किसान भी अपनी मांगों पर अडिग हैं, फिर पिछले 40 दिनों से चल रहा ये आंदोलन और कितने दिनों तक चलेगा। हालांकि किसान कह चुके हैं कि वो छह महीने और एक साल की तैयारी करके आए हैं। वे समय-समय पर अपनी आगे की योजना भी बताते हैं। जैसे- 26 जनवरी को किसान ‘ट्रैक्टर किसान परेड’ निकालेंगे। 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जंयती पर आजाद हिन्द किसान दिवस मनाया जाएगा। 6 से 20 जनवरी के बीच देशभर में किसानों के पक्ष में धरना-प्रदर्शन, मार्च आदि आयोजित किए जाएंगे। 6 जनवरी को ट्रैक्टरों पर मार्च किया जाएगा, 7 जनवरी को देश को जगाने की कवायद शुरू होगी।