पुलिस और थाने का नाम जहन में आते ही रौबदार आवाज और हाथ में डंडा लिए मोटे-तगड़े जवान की तस्वीर उभरती है। या फिर किसी गरीब दुकानदार-ठेलेवालों से अवैध वसूली के किस्से सुनाई देते होंगे। लेकिन यह कहानी बिल्कुल अलग-अलग है। इसमें पुलिस के नेक काम का किस्सा है जो एक गरीब परिवार के बच्चे से जुड़ा है। फूड कंपनी में डिलीवरी ब्वाय का काम करने वाला यह बच्चा साइकिल से पार्सल देता था जिसे पुलिसवालों ने सैलरी के रुपयों से बाइक दिलवाई है।

मालवीय नगर में रहने वाला 22 साल का जय हल्दे फूड सप्लाई करने वाली कंपनी में डिलीवरी ब्वाय का काम करता है। मां घरों में काम करती है और पिता मजदूरी करने जाते हैं। घर की माली हालत ठीक नहीं इसलिए जय साइकिल से ही डिलीवरी करता है। पिछले सप्ताह रात करीब 11 बजे जय सुखलिया से बापट चौराहे की तरफ जा रहा था। विजय नगर थाना प्रभारी तहजीब काजी गश्त भ्रमण करते हुए गुजरे तो देखा जय पसीने के तर है और पैडल मारते हुए चला ही जा रहा है।
टीआइ काजी ने पहले उसका वीडियो बनाया और बाद में उससे पूछा कि इतनी जल्दी कहां जा रहे हो। जय ने कहा कि डिलीवरी का समय हो गया है। जरा भी लेट हुआ तो आर्डर कैंसिल हो जाएगा। टीआइ काजी ने उसके नंबर लिए और कहा कि मैं तुमसे बाद में बात करुंगा।
लोन एजेंट रुपये लेकर भाग गया थाजय ने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। परिवार में पांच लोग हैं- माता-पिता, भाई और मामा के साथ घर में रहता है। कुछ समय पूर्व उसने बाइक खरीदने के लिए रिश्तेदारों, दोस्तों से रुपये उधार लेकर रुपये एकत्र लिए थे लेकिन एजेंट 20 हजार रुपये लेकर फरार हो गया। इसके बाद उसने बाइक खरीदने की हिम्मत नहीं की। टीआइ ने स्टाफ से चर्चा की और तय किया कि जय को बाइक दिलवाएंगे। पूरे स्टाफ ने रुपये एकत्र किए और आधे रुपये जमा करवा कर नई बाइक लोन से दिलवा दी।