जिलेभर में हर्षोल्लास से मनाया गया राष्ट्रीय बालिका दिवस

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जिले भर में राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल की तरह धूमधाम से मनाया गया लेकिन राष्ट्रीय कार्यक्रम के बावजूद महिलाओं और बालिकाओं को आज भी अपने हक अधिकारों की लड़ाई लड़ना पड़ रहा है आज भी समाज की बात करें तो महिलाओं को आज भी पाबंदी में रहकर कार्य करना पड़ता है वैसे तो शासन के द्वारा बालिकाओं के संरक्षण और सम्मान के लिए काफी आयोजन किए जाते हैं लेकिन अगर जमीनी हकीकत देखे तो आज बालिकाओं के साथ लगातार दुराचार सामूहिक दुराचार जैसी घटनाएं घटित हो रही है जिसको लेकर सामाजिक संगठन हो या सरकारी तंत्र इन मामलों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा है इस गंभीर विषय को लेकर पद्मेश न्यूज़ टीम के द्वारा बालिकाओं से आज के परिवेश में बालिकाओं के अधिकारों की क्या स्थिति है और वह अपने आप को इन परिस्थितियों में कहां पाते हैं इस विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा की।

इस संदर्भ में पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान पीजी कॉलेज की छात्रा इशिका पेसवानी ने कहा कि वैसे तो आज भी पुरुष वर्ग को हर क्षेत्र में प्राथमिकता दी जाती है आज परिवार की ही बात करें तो यदि लड़का कुछ करें तो उसे पूरी स्वतंत्रता है लेकिन यदि वही कार्य लड़की करना चाहे तो उस पर पाबंदी लगा दी जाती है लेकिन आज देश में देखें तो महिलाओं ने अपना एक मुकाम हासिल किया है उन्होंने कहा कि संकीर्ण विचारधारा के चलते आज बालिकाएं अपने आप को असहाय महसूस कर रही हैवह इस संदर्भ में कराते खिलाड़ी वैशाली ठाकुर ने कहा कि आज हमारे देश में बालिकाओं के संरक्षण को लेकर कानून तो बनाए गए हैं लेकिन फिर भी लगातार बालिकाओं के साथ गंभीर घटनाएं घटित हो रही हैं आज भी लड़के और लड़कियों में अंतर किया जाता है लड़कों को सभी अधिकार प्राप्त है जबकि लड़कियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है उन्होंने कहा कि बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर वर्तमान में काफी आयोजन किए जा रहे हैं लेकिन यदि महिलाओं को अपनी सुरक्षा करना है तो आत्म रक्षा के लिए उन्हें तैयार रहना होगावही इस संदर्भ में खेल युवा कल्याण विभाग के कराटे प्रशिक्षक साजेंद्र कृष्णन का क्या कहना है आइए जानते हैंवहीं महिलाओं के संरक्षण और अधिकारों के संदर्भ में महिला बाल विकास विभाग की सहायक संचालक बंदना धूमकेती ने कहा कि विभाग के द्वारा इस बात को बेहतर तरीके से माना गया है कि वर्तमान में महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक करना अत्यंत आवश्यकता है जिसके लिए विभागीय तौर पर विविध कार्यक्रमों के माध्यम से यह प्रयास किया जा रहा है

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