टेक्नोलॉजी के बढ़ते दौर में अब नौकरियों का मुख्य आधार भी तकनीकी ही हो गया है। जाहिर है इसका असर नौकरियों पर पड़ने वाला है। इसे लेकर एक ताजा रिपोर्ट सामने आई है। इसमें भविष्य को लेकर नई संभावना जाहिर की गई है। इसके अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), मशीन लर्निंग और डाटा सेगमेंट के चलते अगले पांच सालों में देश में 22 प्रतिशत नौकरियों का स्वरूप बदल जाएगा। यह बात वर्ल्ड इकोनमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी नवीनतम फ्यूचर आफ जाब्स रिपोर्ट में कही है। वैश्विक स्तर पर नौकरियों में 23 प्रतिशत बदलाव होने का अनुमान है।
पैदा होंगे करोड़ों नए रोजगार
रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान 6.9 करोड़ नए रोजगार सृजित होंगे जबकि 8.3 करोड़ रोजगारों के खत्म होने की उम्मीद है। इस तरह अगले पांच सालों में दुनिया में एक चौथाई नौकरियां घट सकती हैं। इस दौरान नौकरियों में बढ़ोतरी की दर 10.2 प्रतिशत और गिरावट की दर 12.3 प्रतिशत रह सकती है। 803 कंपनियों के बीच कराए गए सर्वे के माध्यम से इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। जिन कंपनियों को सर्वे में शामिल किया गया है, उनमें 1.13 करोड़ लोग काम करते हैं और ये कंपनियां 27 सेक्टरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये कंपनियां 45 देशों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
भारतीय कंपनियों का यह है मानना
सर्वे में 61 प्रतिशत भारतीय कंपनियों का कहना है कि ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) मानकों के व्यापक अनुप्रयोग से नौकरी में वृद्धि होगी। 59 प्रतिशत का मानना है कि नई तकनीक के उपयोग से और 55 प्रतिशत का मानना है कि डिजिटल पहुंच बढ़ने से नौकरियों में वृद्धि होगी। वहीं, सर्वे में भाग लेने वाली पांच में से चार कंपनियों का कहना है कि वे लर्निंग और ट्रेनिग में निवेश करने के साथ ही तकनीक में अगले पांच साल में निवेश करेंगी।